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बांग्लादेश में राजनीतिक संकट: शेख हसीना का मुहम्मद यूनुस पर हमला

बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना ने हाल ही में मुहम्मद यूनुस पर कट्टरपंथियों का समर्थन करने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि हालिया छात्र विद्रोह एक सोची-समझी बगावत थी। हसीना ने हिंसा की बढ़ती घटनाओं और अपने देश की राजनीतिक स्थिति पर चिंता व्यक्त की है। जानें इस संकट के पीछे की पूरी कहानी और बांग्लादेश में हो रहे घटनाक्रम के बारे में।
 

शेख हसीना का बयान

बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना ने देश में बढ़ती अराजकता के बीच अंतरिम सरकार के प्रमुख मुहम्मद यूनुस पर कड़ा आरोप लगाया है। हसीना का कहना है कि जिस छात्र विद्रोह के चलते उन्हें सत्ता छोड़नी पड़ी, वह वास्तव में कट्टरपंथियों द्वारा योजनाबद्ध एक बगावत थी।


हसीना के आरोप

हसीना ने एक मीडिया चैनल से बातचीत में कहा कि मुहम्मद यूनुस उन अपराधियों को 'जुलाई के योद्धा' कहकर सम्मानित कर रहे हैं, जिन्होंने हिंसा फैलाई। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि यूनुस ने जांच को रोककर चरमपंथियों को अपनी सरकार में स्थान दिया है।


हिंसा का माहौल

हसीना ने कहा कि यह कोई शांतिपूर्ण आंदोलन नहीं था, बल्कि एक हिंसक भीड़ थी जिसने पुलिस थानों को जलाया और देश की संपत्ति को नुकसान पहुंचाया। उन्होंने बताया कि बांग्लादेश छोड़ना उनके लिए एक कठिन निर्णय था, लेकिन उन्होंने और अधिक खून-खराबा रोकने के लिए ऐसा किया।


अवामी लीग की मांग

हसीना ने 'अवामी लीग' पर से अवैध प्रतिबंध हटाने और देश में संवैधानिक शासन बहाल कर निष्पक्ष चुनाव कराने की मांग की।


बांग्लादेश में हिंसा की स्थिति

बांग्लादेश में स्थिति लगातार तनावपूर्ण बनी हुई है। कट्टरपंथी नेता शरीफ उस्मान हादी की हत्या के बाद कई शहरों में हिंसा भड़क उठी है। हादी के संगठन 'इंकलाब मंच' ने इस हिंसा के लिए यूनुस सरकार को जिम्मेदार ठहराया है। इस हिंसा में दो हिंदू युवकों, दीपू चंद्र दास और अमृत मंडल की हत्या कर दी गई है, जिससे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चिंता बढ़ गई है।


राजनीतिक बदलाव

पूर्व पीएम खालिदा जिया के बेटे तारिक रहमान 17 साल बाद लंदन से ढाका लौट आए हैं। उनकी पार्टी को आगामी चुनावों में सबसे आगे माना जा रहा है। बांग्लादेश में फरवरी 2026 में संसदीय चुनाव होने हैं, लेकिन शेख हसीना की पार्टी 'अवामी लीग' ने फिलहाल इन चुनावों के बहिष्कार का ऐलान किया है।