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बिहार और केरल में मतदाता सूची के पुनरीक्षण पर चिंता और विरोध

बिहार और केरल में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) को लेकर राजनीतिक दलों में चिंता और विरोध बढ़ता जा रहा है। बिहार में 69 लाख नामों को हटाने का दावा किया जा रहा है, जबकि केरल में एक करोड़ नाम कटने की आशंका जताई जा रही है। जानें इस मुद्दे पर क्या है राजनीतिक दलों की राय और इसके संभावित प्रभाव।
 

बिहार में मतदाता सूची का पुनरीक्षण

बिहार में विशेष गहन पुनरीक्षण, जिसे एसआईआर कहा जाता है, के खिलाफ विभिन्न संगठनों और राजनीतिक दलों ने विरोध प्रदर्शन किया है। उनका दावा है कि उनके प्रयासों के कारण 69 लाख नामों को हटाया गया है, जबकि पहले डेढ़ करोड़ नाम काटने की योजना थी। पार्टियों का कहना है कि चुनाव आयोग के साथ हुई बैठक में मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने बताया था कि बिहार में 20 प्रतिशत वोट कटने की संभावना है, जो लगभग एक करोड़ 60 लाख मतदाता के बराबर है। उस समय मतदाता सूची में कुल 7 करोड़ 90 लाख मतदाता थे।


इसी प्रकार की चिंताएं केरल में भी विपक्षी दलों को सता रही हैं। केरल में भाजपा विरोधी पार्टियों का मानना है कि यदि एसआईआर लागू हुआ, तो वहां एक करोड़ नाम कट सकते हैं। ध्यान देने योग्य है कि केरल में कुल मतदाता लगभग 3 करोड़ हैं। यदि एक करोड़ नाम कटते हैं, तो इसका अर्थ होगा कि एक तिहाई मतदाता सूची से बाहर हो जाएंगे। बिहार में कुल 6 प्रतिशत नाम हटाए गए हैं, जबकि पार्टियों का कहना है कि 20 प्रतिशत नाम काटने की तैयारी थी। क्या वास्तव में केरल में 33 प्रतिशत नाम काटने की योजना है? इस चिंता को देखते हुए, केरल विधानसभा में एसआईआर के खिलाफ आम सहमति से प्रस्ताव पारित किया गया है।


केरल की चिंता उन लोगों के कारण भी है जो खाड़ी देशों में काम कर रहे हैं। लाखों लोग खाड़ी देशों में हैं, लेकिन उनके नाम केरल की मतदाता सूची में दर्ज हैं। एसआईआर के दौरान इनमें से कई के नाम कटने की आशंका है।