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बिहार चुनाव 2025: तेजस्वी यादव के वोटर आईडी विवाद पर चुनाव आयोग की प्रतिक्रिया

बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के नजदीक आते ही तेजस्वी यादव ने अपने वोटर आईडी कार्ड का विवाद उठाया है। उन्होंने दावा किया कि उनका नाम ड्राफ्ट वोटर लिस्ट में नहीं है, जिसके बाद चुनाव आयोग ने उनकी बात का खंडन किया है। जानें इस विवाद के पीछे की सच्चाई और भारत में दो या दो से अधिक वोटर आईडी रखने पर क्या कानूनी कार्रवाई हो सकती है।
 

तेजस्वी यादव का वोटर आईडी विवाद

Bihar Election 2025: जैसे-जैसे बिहार विधानसभा चुनाव 2025 नजदीक आ रहा है, प्रदेश की राजनीतिक स्थिति में हलचल बढ़ गई है। शनिवार को राजद के नेता और पूर्व डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव ने दावा किया कि उनका नाम ड्राफ्ट वोटर लिस्ट में नहीं है। इस बात को साबित करने के लिए उन्होंने अपने वोट आईडी कार्ड का एपिक नंबर भी साझा किया।


तेजस्वी के आरोपों के बाद बिहार की राजनीति में हंगामा मच गया है। राजद, बीजेपी और जेडीयू सहित विभिन्न राजनीतिक दल इस मुद्दे पर बयान दे रहे हैं। चुनाव आयोग ने भी तेजस्वी के दावों का जवाब दिया है। आयोग के अनुसार, तेजस्वी द्वारा जारी किया गया एपिक नंबर पिछले 10 वर्षों में किसी रिकॉर्ड में नहीं मिला है। इसके अलावा, चुनाव आयोग ने उस एपिक नंबर की पुष्टि की है, जिसे तेजस्वी ने पिछले चुनावों में अपने हलफनामे में प्रस्तुत किया था।



भारत में दो या दो से अधिक वोटर आईडी कार्ड रखने पर क्या हैं नियम?


चुनाव आयोग के अनुसार, भारत में दो या दो से अधिक वोटर आईडी कार्ड रखना अवैध है। ऐसा करने वालों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जा सकती है। दिल्ली हाई कोर्ट के वकील देवेंद्र कुमार डेढ़ा ने बताया कि इस अपराध के लिए एक साल तक की कैद, जुर्माना या दोनों की सजा हो सकती है। यह मामला रेप्रेजेंटेशन ऑफ द पीपल एक्ट, 1950 के अंतर्गत आता है, जिसमें धारा 17 और 31 के तहत इसे अपराध की श्रेणी में रखा गया है।


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