बिहार चुनाव 2025: महिलाओं की बढ़ती राजनीतिक शक्ति
बिहार चुनाव 2025: महिलाओं की बढ़ती राजनीतिक शक्ति
Bihar Election 2025: बिहार की राजनीतिक परिदृश्य में महिलाएं अब एक महत्वपूर्ण ताकत बन चुकी हैं। पहले जहां महिलाएं सामाजिक और राजनीतिक जीवन में हाशिए पर थीं, वहीं पिछले दो दशकों में उनकी बढ़ती मतदान भागीदारी ने उन्हें चुनावी समीकरण का केंद्र बना दिया है। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अपनी दूरदर्शी नीतियों और योजनाओं के माध्यम से महिला मतदाताओं का विश्वास जीता, जिसका परिणाम 2010, 2015 और 2020 के विधानसभा चुनावों में उनकी गठबंधन की जीत के रूप में सामने आया। लेकिन अब, 2025 के विधानसभा चुनाव से पहले, राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) और कांग्रेस जैसी पार्टियां भी महिला मतदाताओं को आकर्षित करने की कोशिश कर रही हैं।
पिछले तीन विधानसभा चुनावों में महिलाओं ने पुरुषों को पीछे छोड़ते हुए अपनी ताकत का प्रदर्शन किया है। 2010 में महिलाओं का मतदान प्रतिशत 54.5% था, जबकि पुरुषों का 53% था। 2015 में यह आंकड़ा और बढ़कर महिलाओं का 60.4% और पुरुषों का 51.1% हो गया।
महिलाओं का बढ़ता वोट शेयर
2020 में भी महिलाएं 59.7% वोटिंग के साथ आगे रहीं, जबकि पुरुषों का मतदान 54.6% रहा। लोकनीति-सीएसडीएस के सर्वेक्षण के अनुसार, 2020 में नीतीश कुमार के नेतृत्व वाले एनडीए को 41% महिला वोट मिले, जबकि आरजेडी के महागठबंधन को केवल 31% वोट प्राप्त हुए। यह स्पष्ट करता है कि नीतीश की जीत में महिला मतदाताओं की भूमिका महत्वपूर्ण रही है।
नीतीश की क्रांतिकारी योजनाएं
नीतीश कुमार ने 2005 में सत्ता में आने के बाद महिलाओं के सशक्तिकरण पर विशेष ध्यान दिया। उनकी दो योजनाओं ने बिहार की सामाजिक और राजनीतिक तस्वीर को बदल दिया:
1. मुख्यमंत्री बालिका साइकिल योजना
2006 में शुरू हुई इस योजना ने नौवीं कक्षा की लड़कियों को मुफ्त साइकिल प्रदान की, जिससे दूरदराज के स्कूलों तक उनकी पहुंच आसान हुई। इस योजना ने न केवल लड़कियों का स्कूल नामांकन बढ़ाया, बल्कि अभिभावकों की सोच को भी बदला। लड़कियों की सुरक्षा को लेकर चिंताएं कम हुईं और हाईस्कूल में उनकी उपस्थिति बढ़ी। इस योजना की वैश्विक स्तर पर सराहना हुई, जब अमेरिका की नॉर्थ ईस्टर्न यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर निशीथ प्रकाश ने इसके प्रभाव पर शोध किया। इसके बाद अफ्रीकी देश जांबिया ने भी इस मॉडल में रुचि दिखाई।
2. पंचायती राज में 50% महिला आरक्षण
2006 में पंचायती राज संस्थाओं में महिलाओं को 50% आरक्षण देने का निर्णय बिहार में सामाजिक क्रांति का प्रतीक बना। इस नीति ने ग्रामीण महिलाओं को पर्दे से बाहर निकालकर मुखिया, सरपंच और प्रमुख जैसे पदों पर बिठाया। इससे महिलाओं में आत्मविश्वास बढ़ा और वे स्थानीय शासन का हिस्सा बनीं। इस कदम ने गांवों में सामाजिक माहौल को बदला और महिलाओं को राजनीतिक शक्ति का एहसास कराया।
2006 में विश्व बैंक के सहयोग से शुरू हुई जीविका योजना ने बिहार की महिलाओं को आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। आज एक करोड़ 35 लाख से अधिक 'जीविका दीदियां' इस योजना से जुड़ी हैं। किफायती ब्याज पर लोन और लचीले भुगतान विकल्पों ने महिलाओं को छोटे व्यवसाय शुरू करने में मदद की। इससे न केवल उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार हुआ, बल्कि उनका आत्मसम्मान भी बढ़ा।