बिहार चुनाव परिणाम: मोदी-शाह की रणनीति का प्रभाव
मतदान और परिणाम का विश्लेषण
जब पूरे भारत में मतदान से पहले धमाकों की गूंज सुनाई दी, तो यह सोचना स्वाभाविक था कि मतगणना का दिन भी इसी तरह की हलचल से भरा होगा। 14 नवंबर, जो नेहरू जयंती के रूप में मनाया जाता है, बिहार ने इस दिन यह साबित किया कि युवा, प्रौढ़, बुजुर्ग, महिलाएं और पुरुष सभी मतदाताओं को प्रभावित करने के लिए धमाके, पैसे, और जुमलों का सहारा लिया गया। यह चुनावी प्रबंधन का एक अद्वितीय उदाहरण है, जिसमें सभी संभावित विकल्पों का उपयोग किया गया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा की रणनीति ने महाराष्ट्र के बाद बिहार में एक नया अध्याय लिखा है, जो 140 करोड़ की जनसंख्या में 60 प्रतिशत युवा मतदाताओं के लिए महत्वपूर्ण है।
राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता का परिदृश्य
यह परिणाम राहुल गांधी, तेजस्वी यादव, प्रशांत किशोर और अन्य नेताओं की क्षमताओं का भी संकेत देता है। तेजस्वी यादव की रैलियों में जुटी भीड़ ने जोश दिखाया, लेकिन परिणाम उनके पक्ष में नहीं आए। यह समझना जरूरी है कि बिहार के स्थानीय नेताओं का प्रभाव सीमित है, जबकि मोदी-शाह की रणनीति और प्रबंधन कौशल ने चुनावी परिणामों को प्रभावित किया।
बिहार के चुनाव परिणामों का मनोवैज्ञानिक प्रभाव
इस चुनाव के परिणामों ने अविश्वास को बढ़ावा दिया है, जिससे अन्य राज्यों में भी राजनीतिक अस्थिरता का खतरा बढ़ सकता है। बिहार में जो हुआ, वह राहुल गांधी और अन्य विपक्षी नेताओं की राजनीति को कमजोर करने वाला है। उन्होंने जाति जनगणना और पिछड़ों के अधिकारों के मुद्दे उठाए, लेकिन ये सभी प्रयास बिहार में विफल रहे।
नीतीश कुमार और मोदी का जादू
यह जानना दिलचस्प है कि क्या नीतीश कुमार की लोकप्रियता ने उन्हें इस चुनाव में जीत दिलाई, या नरेंद्र मोदी का करिश्मा फिर से सामने आया है। हाल ही में, जब नीतीश-मोदी सरकार ने महिलाओं के खातों में पैसे जमा करने की योजना शुरू की, तो यह स्पष्ट हो गया कि चुनाव से पहले धन का वितरण महत्वपूर्ण था। बिहार में जहां आर्थिक स्थिति खराब है, वहां चुनाव से पहले धन का वितरण वोटों को प्रभावित करने में सहायक साबित हुआ।
आतंक का प्रभाव
दूसरे चरण के मतदान से पहले दिल्ली में हुए आतंकवादी हमले ने भी बिहार के चुनाव परिणामों को प्रभावित किया। यह वही स्थिति थी जो पुलवामा हमले के समय देखी गई थी। ऐसे में बिहार में मतदान के दौरान मतदाताओं के मन में कोई अन्य विचार नहीं था।