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बिहार चुनाव: पहले चरण की वोटिंग ने बदले समीकरण, एनडीए को मिली बढ़त

बिहार में पहले चरण के मतदान के बाद राजनीतिक माहौल गर्म हो गया है। 64.46% मतदान ने एनडीए को बढ़त दिलाई है, जबकि महागठबंधन की स्थिति मिश्रित रही। तेजस्वी यादव ने बेरोजगारी और भ्रष्टाचार पर हमले किए, लेकिन NDA की सेंधमारी की चर्चा हो रही है। जन सुराज पार्टी का प्रभाव सीमित रहा है। अब सभी की नजरें 11 नवंबर पर हैं, जब दूसरे चरण की वोटिंग होगी। जानें इस चुनाव की पूरी कहानी।
 

बिहार में पहले चरण की मतदान के बाद राजनीतिक हलचल


बिहार में पहले चरण के मतदान के बाद राजनीतिक तापमान बढ़ गया है। 18 जिलों में 121 सीटों पर हुए मतदान में जनता का उत्साह अभूतपूर्व रहा, जिसमें 64.46% वोटिंग ने सभी समीकरणों को बदल दिया है। इस चुनाव में मतदाता केवल उम्मीदवारों की किस्मत नहीं, बल्कि नीतीश कुमार की प्रतिष्ठा, नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता, तेजस्वी यादव का युवा कार्ड और प्रशांत किशोर की नई राजनीति पर भी मुहर लगाएंगे। अब सवाल यह है कि पहले चरण में कौन जीत हासिल करेगा।


एनडीए और जदयू को मिली शुरुआती राहत

पहले चरण के परिणामों ने एनडीए खेमे में आत्मविश्वास का संचार किया है। भाजपा और जदयू के नेताओं का मानना है कि महिलाओं और अति-पिछड़े वर्गों (EBC/MBC) के बीच सरकार की योजनाओं का सकारात्मक प्रभाव वोटिंग में दिखाई दिया है। जदयू को उम्मीद है कि नीतीश कुमार की 'सात निश्चय' योजनाओं और महिला सशक्तिकरण के नारे ने ग्रामीण क्षेत्रों में उन्हें मजबूती प्रदान की है। पीएम मोदी की लोकप्रियता का भी असर देखने को मिल रहा है। बीजेपी ने पहले चरण में 'केंद्र-राज्य की डबल इंजन' अपील के जरिए वोटरों को जोड़ने का प्रयास किया था।


महागठबंधन की जमीनी स्थिति

महागठबंधन (RJD–Congress–Left) के लिए यह चरण मिश्रित परिणाम लेकर आया है। तेजस्वी यादव ने बेरोजगारी, शिक्षा और भ्रष्टाचार पर तीखे हमले किए, लेकिन RJD के पारंपरिक यादव-मुस्लिम समीकरण पर NDA की सेंधमारी की चर्चा हो रही है। कांग्रेस और वाम दलों ने कुछ क्षेत्रों में मजबूत उपस्थिति दिखाई, लेकिन राज्यव्यापी रुझान अभी भी NDA की ओर झुकते नजर आ रहे हैं।


प्रशांत किशोर और जन सुराज की स्थिति

जन सुराज पार्टी ने खुद को 'तीसरी ताकत' के रूप में प्रस्तुत किया, लेकिन पहले चरण में इसका प्रभाव सीमित रहा। प्रशांत किशोर की सभाओं में भीड़ तो दिखी, लेकिन जमीन पर वोट ट्रांसफर स्पष्ट नहीं हो पाया। विश्लेषकों का मानना है कि जन सुराज को लंबी राजनीतिक यात्रा तय करनी होगी ताकि वह NDA और महागठबंधन जैसे गठबंधनों के बीच अपनी जगह बना सके।


दूसरे चरण की वोटिंग के लिए विपक्ष तैयार

पहले चरण की वोटिंग ने बिहार की राजनीति में सस्पेंस और नए समीकरणों का दौर शुरू कर दिया है। भले ही एनडीए को शुरुआती बढ़त के संकेत मिल रहे हैं, महागठबंधन भी डटकर मुकाबला कर रहा है। तेजस्वी यादव की अगुवाई में विपक्ष दूसरे चरण में वापसी की रणनीति बना रहा है।


अब सबकी नजरें 11 नवंबर पर

अब सभी की नजरें 11 नवंबर पर हैं, जब दूसरे चरण की वोटिंग होगी। इससे पहले हर दल अपने प्रचार और गठबंधन समीकरणों को फिर से परिभाषित कर रहा है। मतगणना 14 नवंबर को होगी, और उसी दिन यह तय होगा कि जनता ने विकास की निरंतरता, बदलाव की नई राह, या परंपरा की वापसी में से किस पर मुहर लगाई है।