बिहार चुनाव में कांग्रेस की नई रणनीति: राहुल और प्रियंका का दौरा
बिहार विधानसभा चुनाव की तैयारी
बिहार चुनाव: जैसे-जैसे बिहार विधानसभा चुनाव नजदीक आ रहा है, कांग्रेस पार्टी ने अपनी चुनावी योजना को और तेज कर दिया है। पार्टी अब महागठबंधन में अपनी स्थिति को मजबूत करने के लिए सक्रिय कदम उठा रही है। हाल ही में दिल्ली में आयोजित एक महत्वपूर्ण बैठक में राहुल गांधी, मल्लिकार्जुन खरगे और अन्य वरिष्ठ नेताओं ने भाग लिया। इस बैठक में यह निर्णय लिया गया कि राहुल गांधी और प्रियंका गांधी बिहार का लगातार दौरा करेंगे, जिससे पार्टी को राजनीतिक लाभ मिल सके।
वोटर अधिकार यात्रा का प्रभाव
कांग्रेस ने हाल ही में बिहार में अपनी 'वोटर अधिकार यात्रा' के माध्यम से कार्यकर्ताओं और आम जनता के बीच नई ऊर्जा का संचार किया था। पार्टी के सूत्रों के अनुसार, इस यात्रा ने कांग्रेस को राज्य की राजनीति में एक नई पहचान दिलाई है। बैठक में इस बात पर सहमति बनी कि इस उत्साह को बनाए रखना अत्यंत आवश्यक है। इसी कारण राहुल गांधी और अन्य प्रमुख नेताओं के दौरे का कार्यक्रम तय किया गया है। पार्टी का मानना है कि इन लगातार दौरों से न केवल कार्यकर्ताओं का मनोबल बढ़ेगा, बल्कि जनता में भी कांग्रेस की पकड़ मजबूत होगी। इससे महागठबंधन में कांग्रेस की स्थिति भी बेहतर हो सकती है।
सीट बंटवारे की रणनीति
सूत्रों के अनुसार, कांग्रेस का मानना है कि 'वोटर अधिकार यात्रा' के बाद पार्टी की लोकप्रियता में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। ऐसे में पार्टी अब पिछली बार की तुलना में अधिक सीटों की मांग कर सकती है। पिछले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने 70 सीटों पर चुनाव लड़ा था, लेकिन इस बार पार्टी को विश्वास है कि उसे और अधिक सीटें मिलनी चाहिए। पार्टी के नेताओं का कहना है कि कांग्रेस अब महागठबंधन में 'सम्मानजनक सीटों' की मांग से पीछे नहीं हटेगी।
तेजस्वी यादव पर दबाव
कांग्रेस के नेताओं का मानना है कि आरजेडी और तेजस्वी यादव को चुनाव में कांग्रेस के सहयोग की आवश्यकता है। इस बार कांग्रेस किसी भी समझौते में ढिलाई नहीं बरतना चाहती है। पार्टी की रणनीति स्पष्ट है कि उसे गठबंधन में अपनी हिस्सेदारी और दबदबा दोनों बढ़ाना है। सूत्रों ने बताया कि कांग्रेस का यह कदम महागठबंधन की सीट बंटवारे की बातचीत में सीधे तौर पर दबाव की स्थिति बनाएगा। पार्टी का मानना है कि यदि राहुल और प्रियंका गांधी लगातार बिहार में सक्रिय रहते हैं, तो इससे न केवल कांग्रेस की साख बढ़ेगी बल्कि तेजस्वी यादव को भी कांग्रेस की शर्तों पर विचार करना पड़ेगा।