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बिहार चुनाव में तेजस्वी यादव का बड़ा आरोप: मतदान अधिकार छीनने की साजिश

बिहार विधानसभा चुनाव की तैयारियों के बीच तेजस्वी यादव ने केंद्र सरकार पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने कहा कि चुनावी हार के डर से सरकार बिहार और बिहारियों से मतदान का अधिकार छीनने की साजिश कर रही है। तेजस्वी ने निर्वाचन आयोग के हालिया निर्णय पर भी सवाल उठाए हैं, जिसमें मतदाता सूची को निरस्त कर नई सूची बनाने का निर्देश दिया गया है। कांग्रेस नेता पवन खेड़ा ने भी इस मुद्दे पर तीखी प्रतिक्रिया दी है। जानें पूरी कहानी इस लेख में।
 

बिहार विधानसभा चुनाव की तैयारी में सियासी हलचल

पटना। बिहार विधानसभा चुनाव की तैयारियों में तेजी आ गई है। मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण अभियान की शुरुआत के साथ ही राजनीतिक गतिविधियाँ बढ़ गई हैं। निर्वाचन आयोग के इस निर्णय ने राज्य में राजनीतिक तापमान को बढ़ा दिया है। विपक्षी दलों के नेताओं ने केंद्र की मोदी सरकार और निर्वाचन आयोग पर तीखे हमले शुरू कर दिए हैं। राजद नेता तेजस्वी यादव ने इस संदर्भ में एक महत्वपूर्ण बयान दिया है। उन्होंने कहा कि चुनावी हार के डर से ये लोग बिहार और बिहारियों से मतदान का अधिकार छीनने की साजिश कर रहे हैं।

तेजस्वी यादव ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा कि, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने निर्वाचन आयोग को निर्देश दिया है कि बिहार की सभी मतदाता सूचियों को निरस्त कर केवल 25 दिन में 1987 से पहले के दस्तावेजों के आधार पर नई मतदाता सूची बनाई जाए। उन्होंने कहा कि यह सब चुनावी हार की चिंता में किया जा रहा है।

उन्होंने आगे कहा कि विशेष गहन पुनरीक्षण के नाम पर मतदाता के वोट को काटने का प्रयास किया जाएगा, जिससे मतदाता पहचान पत्र नहीं बन सकेगा। इसके परिणामस्वरूप, लोग राशन, पेंशन, आरक्षण, छात्रवृत्ति और अन्य योजनाओं से वंचित हो जाएंगे। महागठबंधन के सहयोगियों के साथ कल एक प्रेस वार्ता में इस मुद्दे पर विस्तार से चर्चा की जाएगी।

इसके अलावा, शुक्रवार को इंडिया गठबंधन की प्रेस कॉन्फ्रेंस में कांग्रेस नेता पवन खेड़ा ने भी तीखा हमला किया। उन्होंने सवाल उठाया कि, यह प्रक्रिया मानसून के दौरान बिहार के बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में एक महीने में कैसे पूरी की जाएगी? जब लोकसभा चुनाव में इसी वोटर लिस्ट पर मतदान हुआ था, तो विधानसभा चुनाव में क्यों नहीं? यह स्पष्ट है कि जब भी बीजेपी पर संकट आता है, वे चुनाव आयोग की ओर भागते हैं। चुनाव आयोग मोदी जी के तीन बंदरों की तरह है, जो न सच सुनते हैं, न सच देखते हैं, और न ही सच बोलते हैं।