बिहार चुनाव में दलितों की सुरक्षा और सम्मान का मुद्दा: क्या भाजपा के हिन्दू-मुसलमान के नारे दब जाएंगे?
दलितों पर हमले और चुनावी मुद्दे
रायबरेली में एक दलित हरिओम की निर्मम हत्या और चीफ जस्टिस पर जूते से हमले की घटनाएं यह दर्शाती हैं कि कानून का कोई भय नहीं रह गया है। क्या दलितों और पिछड़ों की सुरक्षा और सम्मान से जुड़े ये मुद्दे बिहार चुनाव में भाजपा के हिन्दू-मुसलमान के झूठे मुद्दों के सामने दब जाएंगे?
राजनीति में कब कौन सा मुद्दा उभरकर सामने आएगा, यह कोई नहीं जानता। भाजपा बिहार चुनाव में अपने पारंपरिक हिन्दू बनाम मुसलमान के मुद्दे पर ध्यान केंद्रित करना चाहती थी, लेकिन अचानक दलितों के सम्मान, डॉ. भीमराव आंबेडकर, आरक्षण और सामाजिक न्याय जैसे मुद्दे सामने आ गए हैं।
प्रधानमंत्री मोदी और गृह मंत्री अमित शाह बिहार में घुसपैठियों के मुद्दे को उठाते रहे हैं। चुनाव आयोग ने भी इस संदर्भ में विशेष गहन पुनरीक्षण किया। सुप्रीम कोर्ट ने आधार को पहचान पत्र में मान्यता देने का आदेश दिया, लेकिन आयोग ने इसे पहचान का प्रमाण नहीं माना। सुप्रीम कोर्ट ने पूछा कि किन-किन नामों को काटा गया और क्यों, लेकिन कोई जवाब नहीं मिला।
हालांकि, भाजपा को इस मुद्दे से कोई फर्क नहीं पड़ता। वे हवा में बातें करते हैं और मीडिया उनकी बातों को सही ठहराने में जुट जाता है। मोदी और शाह घुसपैठियों का जिक्र करके हिन्दू बनाम मुसलमान का माहौल बनाते हैं। उनके पास बताने के लिए कोई ठोस काम नहीं है।
क्या इस बार बिहार के दलित और पिछड़े भाजपा के हिन्दू बनाम मुसलमान के नारे को सुनेंगे? हाल के घटनाक्रम ने स्थिति को और भी गंभीर बना दिया है। सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस बी आर गवई पर जूते से हमला हुआ, और इसे सही ठहराने की कोशिश की गई।
गवई की मां और बहन को सामने आकर बोलना पड़ा कि यह संविधान पर हमला है। यह अत्यंत निंदनीय है कि जो बातें सुप्रीम कोर्ट के अन्य जजों को कहनी चाहिए थीं, वे परिवार को कहनी पड़ीं।
प्रधानमंत्री मोदी की प्रतिक्रिया भी बहुत देर से आई, जिसमें उन्होंने हमले करने वाले के खिलाफ कार्रवाई करने के बजाय गवई की शांति की प्रशंसा की। जबकि कांग्रेस की सोनिया गांधी ने घटना की निंदा की और कहा कि यह संविधान पर हमला है।
सोशल मीडिया पर गवई को अपमानित किया जा रहा है, और जब पुलिस ने हमलावर को पकड़ा, तो भाजपा के नेता उसे थाने से छुड़ाने पहुंचे। दलितों में अपमान और भय का माहौल है। रायबरेली में हरिओम की हत्या के समय हमलावरों ने कहा कि वे सरकार के लोग हैं।
क्या दलितों की सुरक्षा और सम्मान से जुड़े ये मुद्दे बिहार चुनाव में भाजपा के हिन्दू-मुसलमान के झूठे मुद्दों के सामने दब जाएंगे? या फिर यह चुनाव बेरोजगारी, चुनाव आयोग की धांधलियों, सामाजिक न्याय और दलितों पर हमलों जैसे वास्तविक मुद्दों पर होगा?
बिहार चुनाव इस बार बेहद दिलचस्प होगा! असली मुद्दे बनाम काल्पनिक मुद्दे!