बिहार चुनाव में प्रशांत किशोर का बड़ा दावा: क्या जन सुराज बनेगा तीसरा विकल्प?
प्रशांत किशोर का चुनावी बयान
Prashant Kishor on Bihar Assembly Election : बिहार विधानसभा चुनाव की तारीखों की घोषणा के बाद राजनीतिक गतिविधियाँ तेज हो गई हैं। इस अवसर पर जन सुराज पार्टी के संस्थापक और चुनाव रणनीतिकार प्रशांत किशोर (PK) ने चुनाव आयोग के दो चरणों में चुनाव कराने के निर्णय का स्वागत करते हुए एक महत्वपूर्ण बयान दिया। उन्होंने इसे केवल चुनाव की तारीखों की घोषणा नहीं, बल्कि बिहार की 'राजनीतिक बंधुआ मजदूरी' के अंत की शुरुआत बताया। उनका मानना है कि इस बार राज्य की राजनीति में एक नया अध्याय शुरू होगा और जन सुराज पार्टी एक मजबूत विकल्प के रूप में उभरेगी।
28% वोटर अब जन सुराज को समर्थन देंगे
प्रशांत किशोर ने मीडिया से बातचीत में कहा कि बिहार की जनता अब पारंपरिक राजनीति से थक चुकी है। उन्होंने बताया कि पिछले चुनावों में एनडीए और महागठबंधन को मिलाकर 72% वोट मिले थे, जबकि 28% मतदाता ऐसे थे जिन्होंने इन दोनों को वोट नहीं दिया। पीके का मानना है कि यही 28% वोटर अब जन सुराज को समर्थन देंगे। उन्होंने यह भी कहा कि यदि दोनों गठबंधनों को 10-10 प्रतिशत वोटों का नुकसान होता है, तो जन सुराज का मत प्रतिशत 48% तक पहुंच सकता है, जो जीत के लिए पर्याप्त है।
‘वोटकटवा’ का तमगा, हमारे लिए मेडल
प्रशांत किशोर ने विरोधी दलों द्वारा उन पर लगाए गए 'वोटकटवा' के आरोप पर तीखी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि यदि उन्हें वोटकटवा कहा जा रहा है, तो वह इसे गर्व से स्वीकार करेंगे। उनके अनुसार, यदि जन सुराज दोनों गठबंधनों का वोट काटता है और उन्हें सत्ता से बाहर करता है, तो यही लोकतंत्र की असली जीत होगी। उन्होंने चुनौती देते हुए कहा कि उनकी पार्टी इतनी प्रभावशाली होगी कि एनडीए और महागठबंधन दोनों के समीकरण ध्वस्त हो जाएंगे।
CM नीतीश कुमार पर सीधा हमला
प्रशांत किशोर ने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर भी तीखा हमला किया। उन्होंने कहा कि हाल ही में पटना मेट्रो का उद्घाटन नीतीश कुमार के राजनीतिक जीवन का अंतिम उद्घाटन था। इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि अगली बार मुख्यमंत्री आवास 1 अणे मार्ग पर दही-चूड़ा खाने का अवसर नीतीश कुमार को नहीं मिलेगा। यह बयान स्पष्ट रूप से यह संकेत देता है कि पीके नीतीश युग के अंत की घोषणा कर रहे हैं और खुद को एक मजबूत राजनीतिक विकल्प के रूप में प्रस्तुत करना चाहते हैं।
जन सुराज सत्ता के लिए गंभीर दावेदार
जैसे-जैसे बिहार में विधानसभा चुनाव नजदीक आ रहे हैं, राजनीतिक बयानबाजी और रणनीति तेज होती जा रही है। प्रशांत किशोर के हालिया बयान ने यह स्पष्ट कर दिया है कि जन सुराज पार्टी अब केवल एक वैकल्पिक आवाज नहीं, बल्कि सत्ता के लिए गंभीर दावेदार के रूप में उभरना चाहती है। वोटकटवा कहे जाने के आरोप को उन्होंने अपनी ताकत बना लिया है और इसे एक सम्मानजनक तमगा मानते हैं। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि बिहार की जनता जन सुराज के इस दावे को कितनी गंभीरता से लेती है।