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बिहार चुनावों में सीट बंटवारे की जटिलताएं: अमित शाह की बैठक में उठी अहम मांगें

बिहार विधानसभा चुनावों की तैयारियों में तेजी आई है, जिसमें केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने भाजपा नेताओं के साथ एक महत्वपूर्ण बैठक की। इस बैठक में एनडीए सहयोगियों के बीच सीट बंटवारे के फॉर्मूले पर चर्चा की गई। विभिन्न दलों की अलग-अलग मांगें इस प्रक्रिया को जटिल बना रही हैं। लोजपा, जेडी-यू और अन्य दलों की सीटों की मांगें भाजपा के लिए संतुलन बनाना चुनौतीपूर्ण बना रही हैं। जानें इस सियासी हलचल के पीछे की पूरी कहानी।
 

बिहार में सियासी हलचल

Bihar Politics: बिहार विधानसभा चुनावों की तैयारियों में तेजी आ गई है। इस संदर्भ में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने बुधवार को भाजपा के नेताओं के साथ एक महत्वपूर्ण रणनीतिक बैठक की। इस बैठक में बिहार के उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी, विजय सिन्हा, भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव विनोद तावड़े सहित कई वरिष्ठ नेता शामिल हुए। बैठक का मुख्य विषय एनडीए सहयोगियों के बीच सीट बंटवारे का फॉर्मूला था, जिस पर अभी तक कोई सहमति नहीं बन पाई है।


सीट बंटवारे की मांगें

सीट बंटवारे को लेकर मांगें 


बिहार में एनडीए गठबंधन में भाजपा के साथ जेडी-यू, चिराग पासवान की लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास), जीतन राम मांझी की हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (सेक्युलर) और उपेंद्र कुशवाहा की राष्ट्रीय लोक मोर्चा (आरएलएम) शामिल हैं। सीट बंटवारे को लेकर विभिन्न दलों की अलग-अलग मांगें सामने आने से यह प्रक्रिया और भी जटिल हो गई है।


लोजपा इस बार 40 सीटों पर दावा कर रही है, जबकि पिछले चुनाव में उसने जेडी-यू के खिलाफ उम्मीदवार उतारकर गठबंधन की स्थिति को कठिन बना दिया था। हालांकि, चिराग पासवान अब एनडीए के साथ मजबूती से खड़े हैं, लेकिन उनकी मांग पूरी होने की संभावना कम है। दूसरी ओर, मांझी की पार्टी भी 35 से 40 सीटों की मांग कर रही है और उन्होंने यह भी कहा है कि उनकी पार्टी के कम से कम 20 विधायक विधानसभा में होंगे।


जेडी-यू की चुनौती

जेडी-यू की स्थिति नहीं आसान 


जेडी-यू की स्थिति भी सरल नहीं है। 2020 के चुनाव में पार्टी का वोट शेयर घटकर 15.39 प्रतिशत रह गया था, लेकिन अब वह कम से कम 100 सीटों पर चुनाव लड़ने का इरादा रखती है। आरएलएम की भी महत्वाकांक्षी मांगें गठबंधन के लिए पेचीदगी बढ़ा रही हैं। ऐसे में भाजपा के लिए सभी दलों को संतुलित करना एक बड़ी चुनौती बन गई है।


2020 में भाजपा ने 110 सीटों पर लड़ा चुनाव 
 
पिछले चुनाव के आंकड़ों पर गौर करें तो 2020 में भाजपा ने 110 सीटों पर चुनाव लड़ा और 74 सीटों पर जीत हासिल की। जेडी-यू ने 115 सीटों पर उम्मीदवार उतारे लेकिन केवल 43 सीटों पर जीत दर्ज की। एलजेपी ने 135 सीटों पर दांव लगाया था, लेकिन वह सिर्फ एक सीट जीत सकी, जबकि लगभग 30 सीटों पर जेडी-यू का खेल बिगाड़ने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। वहीं, हम (सेक्युलर) ने सात सीटों पर चुनाव लड़कर चार पर जीत हासिल की थी.


भाजपा की चुनौती

इस बार चुनाव से पहले सहयोगियों की बढ़ती सीटों की मांग ने भाजपा और अमित शाह के सामने चुनौती खड़ी कर दी है। बैठक से स्पष्ट संकेत मिलते हैं कि भाजपा जल्द ही सभी दलों को साथ लेकर सीट बंटवारे पर अंतिम निर्णय लेने की कोशिश करेगी, ताकि चुनावी तैयारी में कोई देरी न हो।