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बिहार चुनावों से पहले मतदाता सूची पर गरमाई सियासत

बिहार विधानसभा चुनावों की तैयारी में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) को लेकर सियासत गरमा गई है। विपक्षी दलों ने संसद परिसर में जोरदार प्रदर्शन किया, जिसमें प्रमुख नेता शामिल हुए। मल्लिकार्जुन खड़गे ने इस प्रक्रिया को पक्षपाती बताया और चुनाव आयोग ने इसे आवश्यक कदम कहा। जानें इस मुद्दे पर और क्या हो रहा है।
 

मतदाता सूची के पुनरीक्षण पर विपक्ष का विरोध

बिहार विधानसभा चुनावों की तैयारी के बीच मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) को लेकर राजनीतिक माहौल गर्म हो गया है। सोमवार को, विपक्षी दलों के सांसदों ने इस मुद्दे पर संसद परिसर में जोरदार प्रदर्शन किया।


इस विरोध में कांग्रेस के नेता राहुल गांधी, पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, सोनिया गांधी, और समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव समेत इंडी अलायंस के कई प्रमुख नेता और सांसद शामिल हुए।


प्रदर्शन संसद के मकर द्वार के निकट आयोजित किया गया, जहां विपक्षी नेता एक बड़ा बैनर लेकर आए थे, जिस पर लिखा था, 'एसआईआर- लोकतंत्र पर हमला'। इसका मतलब है कि एसआईआर लोकतंत्र को कमजोर करने का प्रयास है।


मल्लिकार्जुन खड़गे ने एसआईआर के खिलाफ नारेबाजी की और कहा कि मतदाता सूची का यह विशेष पुनरीक्षण एकतरफा और पक्षपाती तरीके से किया जा रहा है, जिससे चुनाव की निष्पक्षता पर असर पड़ सकता है। विपक्षी सांसदों ने इस मुद्दे पर संसद में विस्तृत चर्चा की मांग की।


सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर खड़गे ने विरोध प्रदर्शन का एक वीडियो साझा करते हुए लिखा, "इंडी गठबंधन संसद में जनता के अधिकारों की रक्षा करेगा। एसआईआर के माध्यम से कमजोर वर्गों से वोटिंग का अधिकार छीनना बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। हम लोकतंत्र और संविधान को आरएसएस-भाजपा की मनुवादी सोच से प्रभावित नहीं होने देंगे।"


इस बीच, चुनाव आयोग ने एसआईआर को लेकर विपक्ष के आरोपों का खंडन करते हुए सुप्रीम कोर्ट में कहा कि यह प्रक्रिया मतदाता सूची को शुद्ध करने के लिए एक आवश्यक कदम है। आयोग ने बताया कि इस प्रक्रिया में पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए 1.5 लाख से अधिक बूथ-स्तरीय एजेंटों को शामिल किया गया है।