बिहार बंद: तेजस्वी यादव का चुनाव आयोग पर तीखा हमला, विपक्ष ने खोला मोर्चा
बिहार में विपक्ष का विरोध प्रदर्शन
Bihar Bandh: बिहार में मतदाता सूची से नाम हटाने के मुद्दे पर विपक्ष ने मोर्चा संभाल लिया है। निर्वाचन आयोग की नई नियमावली के खिलाफ मंगलवार को महागठबंधन ने राज्यव्यापी बिहार बंद का आयोजन किया। इस आंदोलन के माध्यम से राजद, कांग्रेस और वाम दलों ने केंद्र सरकार और चुनाव आयोग पर गंभीर आरोप लगाए हैं।
तेजस्वी यादव की अगुवाई
इस विरोध प्रदर्शन का नेतृत्व राजद नेता और पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने किया। उनके साथ कांग्रेस सांसद राहुल गांधी और सीपीआईएमएल के महासचिव दीपांकर भट्टाचार्य भी शामिल हुए। तेजस्वी यादव ने केंद्र की मोदी सरकार और चुनाव आयोग पर आरोप लगाते हुए कहा कि यह गरीबों के लोकतांत्रिक अधिकारों को छीनने की साजिश है।
तेजस्वी यादव का तीखा हमला
तेजस्वी यादव का तीखा हमला
बिहार बंद के दौरान तेजस्वी यादव ने कहा, "चुनाव आयोग एक राजनीतिक दल का अंग बन गया है। क्या गुजरात के दो लोग तय करेंगे कि कौन बिहारी मतदाता वोट दे सकता है और कौन नहीं?" उन्होंने आगे कहा, "चुनाव आयोग अपनी विश्वसनीयता खो चुका है। गरीबों के नाम मतदाता सूची से हटाने की तैयारी चल रही है। पहले उनके नाम हटाए जा रहे हैं, फिर उनकी पेंशन और राशन भी छीन लिया जाएगा।"
विपक्षी एकता की ताकत
विपक्षी एकता की सड़कों पर ताकत
बिहार बंद के दौरान विपक्षी कार्यकर्ताओं ने रेलवे ट्रैक पर बैठकर ट्रेनों को रोका और सड़कों पर जाम लगाया। पटना सहित कई जिलों में प्रदर्शनकारियों ने सरकार विरोधी नारेबाजी की। महागठबंधन के नेताओं का कहना है कि यह केवल एक राजनीतिक विरोध नहीं बल्कि लोकतंत्र की रक्षा की लड़ाई है।
नीतीश कुमार की स्थिति पर सवाल
नीतीश अचेत हैं, उन्हें हाईजैक कर लिया गया है: तेजस्वी
तेजस्वी यादव ने राज्य की कानून व्यवस्था पर भी सवाल उठाए। उन्होंने कहा, "बिहार में कानून-व्यवस्था का आपराधिक इतिहास हो चुका है। नीतीश कुमार अचेत अवस्था में हैं, उन्हें बोलने नहीं दिया जा रहा है। उन्हें हाईजैक कर लिया गया है। चुनाव के बाद देखिए ये लोग उनके साथ क्या करते हैं।"
कांग्रेस का बयान
जनता परेशान, सरकार और आयोग जिम्मेदार: कांग्रेस
कांग्रेस विधायक दल के नेता शकील अहमद ने कहा, "लोग हमारे विरोध प्रदर्शन को गंभीरता से ले रहे हैं। सत्ताधारी दल, चुनाव आयोग के साथ मिलकर जनता को परेशान कर रहे हैं। क्या 2024 के चुनावों में अपने मताधिकार का प्रयोग करने वालों का वोट वैध नहीं था? ऐसे में मौजूदा सरकार नहीं चल पाएगी।"
नए विवाद की जड़
क्या है नया विवाद?
विवाद की जड़ निर्वाचन आयोग की नई प्रक्रिया है, जिसके तहत मतदाताओं को अपने नाम सत्यापन के लिए कई दस्तावेज देने होंगे। आयोग ने कुल 11 जरूरी दस्तावेजों की सूची जारी की है। इसमें मतदाता का नाम, माता-पिता का नाम, पता, मतदाता पहचान पत्र नंबर, आधार नंबर, जन्मतिथि सहित अन्य जानकारियां शामिल हैं। विपक्ष का आरोप है कि यह प्रक्रिया गरीब, आदिवासी, दलित और अल्पसंख्यक वर्गों को वोटिंग से वंचित करने की योजना है।