बिहार में AIMIM का चुनावी संघर्ष: सीमांचल के समीकरणों की पड़ताल
AIMIM का चुनावी संघर्ष
बिहार में AIMIM का चुनावी संघर्ष: हाल ही में एआईएमआईएम के प्रदेश अध्यक्ष अख्तरुल ईमान, बैंड-बाजे के साथ लालू प्रसाद यादव के दरवाजे तक पहुंचे। वहां नारेबाजी हुई, "लालू-तेजस्वी अपनी कान खोल, दरवाजे पर बज रहा ढोल, गठबंधन में शामिल कर, नहीं तो खुल जाएगा माई समीकरण का पोल।" हालांकि, लालू का दरवाज़ा नहीं खुला, लेकिन इसके बाद तेजस्वी यादव की बिहार अधिकार यात्रा के दौरान कई स्थानों पर विरोध प्रदर्शन देखने को मिला।
“गठबंधन नहीं तो वोट नहीं”
दरभंगा के बिरौल में एआईएमआईएम कार्यकर्ता तेजस्वी यादव की बस के सामने पहुंच गए। सुरक्षाकर्मियों ने स्थिति को संभाला, लेकिन इस दौरान एक प्रदर्शनकारी घायल हो गया, जिसके बाद समर्थकों ने सड़क जाम कर दी। मधेपुरा के सिंहेश्वर में मुस्लिम युवाओं ने "गठबंधन नहीं तो वोट नहीं" के नारे लगाए। उनकी मांग थी कि मुस्लिम आबादी के अनुपात में राजनीति में हिस्सेदारी दी जाए, वरना वोट नहीं।
सीमांचल के समीकरण
- किशनगंज में मुस्लिम आबादी 68%
- अररिया में 43%
- कटिहार में 45%
- पूर्णिया में 39%.
2020 में ओवैसी ने इन जिलों में मुस्लिम वोटों के ध्रुवीकरण से शानदार प्रदर्शन किया और 5 सीटें जीतीं, जबकि बीजेपी ने 8, जेडीयू ने 4, कांग्रेस ने 5, और आरजेडी तथा माले ने 1-1 सीटें हासिल की थीं। इस बार स्थिति और भी जटिल है।
राजनीतिक विशेषज्ञों की राय
वरिष्ठ पत्रकार रवि उपाध्याय का मानना है कि इस बार मुस्लिम वोट का बिखराव होने की संभावना कम है, क्योंकि वक्फ बिल के बाद मुस्लिम वोट उसी को जाएगा जो बीजेपी के खिलाफ मजबूत उम्मीदवार होगा।
बीजेपी प्रवक्ता दानिश इकबाल का कहना है कि मुस्लिम वोट प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम पर मिलेगा, इसमें कोई संदेह नहीं है। पासमंदा मुसलमानों की संख्या सबसे अधिक है, और पीएम मोदी ने उनके लिए कई कदम उठाए हैं। सीमांचल में भी मुस्लिम वोट बीजेपी को मिलेंगे।
सीमांचल की 24 सीटों का इम्तिहान
एआईएमआईएम सड़कों पर उतरकर यह संदेश देने की कोशिश कर रही है कि वह बीजेपी की “बी टीम” नहीं है, बल्कि मुस्लिम वोटों का बिखराव रोकना चाहती है। दूसरी ओर, कांग्रेस, आरजेडी और लेफ्ट दल मुस्लिम, दलित और यादव वोटों का समीकरण साधने में जुटे हैं। प्रशांत किशोर की जनसुराज पार्टी भी धीरे-धीरे अपनी उपस्थिति बढ़ा रही है। बीजेपी दलितों और अति पिछड़े वर्ग (EBC) पर ध्यान केंद्रित कर रही है। सीमांचल की कुल 24 सीटें इस बार बिहार चुनाव का सबसे बड़ा इम्तिहान साबित हो सकती हैं।