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बिहार में अति पिछड़ा वर्ग के लिए महागठबंधन का नया घोषणापत्र

बिहार में महागठबंधन ने अति पिछड़ा वर्ग के लिए एक नया घोषणापत्र पेश किया है, जिसमें आरक्षण की सीमा बढ़ाने और अन्य महत्वपूर्ण वादों का उल्लेख है। कांग्रेस और राजद के नेताओं ने इस योजना को लेकर अपनी प्रतिबद्धता जताई है। जानें इस घोषणापत्र में क्या-क्या शामिल है और इसका राजनीतिक महत्व क्या है।
 

महागठबंधन का नया संकल्प

पटना। भले ही कांग्रेस ने अभी तक राजद के नेता तेजस्वी यादव को मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित नहीं किया है और न ही सीट बंटवारे पर कोई निर्णय लिया है, लेकिन महागठबंधन की पार्टियों ने मिलकर बिहार के सबसे बड़े जातीय समूह अति पिछड़ा के लिए एक अलग घोषणापत्र जारी किया है। यह घोषणापत्र कांग्रेस कार्य समिति की बैठक के बाद बुधवार को पटना में पेश किया गया। इसका नाम 'अति पिछड़ा न्याय संकल्प योजना' रखा गया है।


इस कार्यक्रम में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, राहुल गांधी, तेजस्वी यादव, विकासशील इंसान पार्टी के नेता मुकेश सहनी और तीनों वामपंथी पार्टियों के नेता शामिल हुए। प्रेस कॉन्फ्रेंस में राहुल गांधी ने कहा, 'भाजपा संविधान को समाप्त करने पर तुली है। मैंने हाइड्रोजन बम की बात की थी, वह आएगा और तब आपको भाजपा की असलियत का पता चलेगा।' इससे पहले, कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा, 'यह संकल्प राहुल गांधी और तेजस्वी जी ने मिलकर तैयार किया है। जब हमारी सरकार बनेगी, तो इस मुद्दे को पूरा किया जाएगा। हमें उन जातियों को उठाना है, जो पिछड़ी हैं और जिनका हक छिना गया है।'


अति पिछड़ी जातियों के लिए जारी इस घोषणापत्र में आबादी के अनुसार आरक्षण की 50 फीसदी की सीमा को बढ़ाने का वादा किया गया है। इसके साथ ही, विधानसभा से पारित होने के बाद प्रस्ताव को संविधान की 9वीं सूची में शामिल करने के लिए केंद्र को भेजने का आश्वासन दिया गया है। इसके अलावा, पंचायत और नगर निकायों में अति पिछड़ी जातियों के लिए आरक्षण को 20 से बढ़ाकर 30 फीसदी करने और अति पिछड़ा अत्याचार निवारण नियम पारित करने का वादा भी किया गया है। अति पिछड़ी जातियों के लिए 25 करोड़ रुपए तक के ठेके में 50 फीसदी आरक्षण लागू करने और संविधान की धारा पांच के तहत राज्य के सभी निजी शिक्षण संस्थानों में आरक्षण लागू करने का भी आश्वासन दिया गया है।