बिहार में एमआईएम की गठबंधन की कोशिशें तेज, राजद और कांग्रेस से संपर्क जारी
गठबंधन की राजनीति में एमआईएम की सक्रियता
भारत में गठबंधन की राजनीति एक महत्वपूर्ण दौर से गुजर रही है, जिसमें सभी राजनीतिक दलों को सहयोगियों की आवश्यकता होती है। लेकिन असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी, एमआईएम, बिहार में गठबंधन के लिए सबसे अधिक सक्रिय दिखाई दे रही है। एमआईएम लगातार राजद और कांग्रेस से संपर्क साध रही है, ताकि गठबंधन के लिए दबाव बनाया जा सके। हालांकि, राजद और कांग्रेस दोनों ही इस प्रस्ताव को लेकर अनिच्छुक हैं।
एमआईएम ने अपने दबाव बनाने के तरीकों में विविधता लाने की कोशिश की है, लेकिन राजद और कांग्रेस ने अभी तक कोई सकारात्मक प्रतिक्रिया नहीं दी है। दोनों दल अपने ऊपर कोई लेबल नहीं लगवाना चाहते हैं, इसलिए वे इस मुद्दे पर चुप्पी साधे हुए हैं। इसके बावजूद, एमआईएम के नेता गठबंधन में शामिल होने की कोशिशों में लगे हुए हैं।
एमआईएम के प्रदेश अध्यक्ष, अख्तर उल ईमान, ने पहले राजद और कांग्रेस के नेताओं को एक पत्र लिखा, जिसमें उन्होंने कहा कि बिहार में एनडीए को रोकने के लिए समान विचारधारा वाली पार्टियों को एकजुट होना चाहिए। इसके बाद, एमआईएम के नेता ढोल नगाड़े बजाते हुए राबड़ी देवी के निवास पर पहुंचे और गठबंधन में शामिल होने की मांग की।
जब पत्र और ढोल नगाड़े का प्रयास विफल रहा, तो एमआईएम के समर्थकों ने तेजस्वी यादव की बिहार अधिकार यात्रा के दौरान उन्हें रोककर गठबंधन में शामिल होने का अनुरोध किया। जब तेजस्वी की यात्रा मधेपुरा और सीमांचल के क्षेत्रों से गुजर रही थी, तब मुस्लिम युवाओं ने उनके काफिले को रोककर एमआईएम के साथ गठबंधन की मांग की। ऐसा प्रतीत होता है कि एमआईएम को यह समझ में आ रहा है कि एनडीए को हराने के लिए मुस्लिम समुदाय पूरी तरह से महागठबंधन के साथ है।