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बिहार में डिप्टी सीएम पद को लेकर विवाद गहराया

बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में जीत के बाद नई एनडीए सरकार के गठन में तेजी आई है, लेकिन डिप्टी सीएम पद को लेकर विवाद खड़ा हो गया है। नीतीश कुमार ने भाजपा के सामने कुछ शर्तें रखी हैं, जिसमें समान हिस्सेदारी की मांग शामिल है। जानें इस विवाद के पीछे की पूरी कहानी और क्या हैं नीतीश की शर्तें।
 

बिहार में डिप्टी सीएम पद का विवाद

बिहार में डिप्टी सीएम पद का विवाद: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में शानदार जीत के बाद नई एनडीए सरकार के गठन की प्रक्रिया में तेजी आई है। नीतीश कुमार 20 नवंबर को पटना के गांधी मैदान में 10वीं बार मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने जा रहे हैं। इस दौरान डिप्टी सीएम पद को लेकर एक नया विवाद उत्पन्न हो गया है, जिससे जेडीयू प्रमुख नीतीश कुमार असंतुष्ट हैं।

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, शपथ ग्रहण से पहले भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व ने सोमवार रात एक चार्टर प्लेन भेजकर जेडीयू के दो प्रमुख नेताओं, केंद्रीय मंत्री ललन सिंह और पार्टी के कार्यकारी राष्ट्रीय अध्यक्ष संजय झा को तुरंत दिल्ली बुलाया। कहा जा रहा है कि नीतीश कुमार ने मंत्रिमंडल गठन से पहले भाजपा के सामने कुछ शर्तें रखी हैं। वह भाजपा से कम विधायकों के बावजूद मंत्रिमंडल में समान हिस्सेदारी की मांग कर रहे हैं, जिसमें एक डिप्टी सीएम का पद भी शामिल है, जिसे भाजपा ने स्वीकार करने से इनकार कर दिया है। इस गतिरोध को हल करने के लिए ललन सिंह और संजय झा को दिल्ली बुलाया गया है।

सूत्रों के अनुसार, नीतीश कुमार का कहना है कि मंत्रिमंडल में एक डिप्टी सीएम जेडीयू का और दूसरा भाजपा का होना चाहिए। इसके अलावा, वह विधानसभा अध्यक्ष का पद जेडीयू को और विधान परिषद का सभापति पद भाजपा को देना चाहते हैं। सबसे महत्वपूर्ण शर्त यह है कि भाजपा द्वारा नियुक्त डिप्टी सीएम को पद ग्रहण करने से पहले नीतीश कुमार की स्वीकृति प्राप्त करनी होगी। उनका स्पष्ट कहना है कि सरकार चलाने में हिस्सेदारी समान होगी, और भाजपा द्वारा बनाए गए डिप्टी सीएम पर उनका अंतिम नियंत्रण होगा। नीतीश की इन शर्तों से भाजपा में हलचल मच गई है।