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बिहार में 'डॉग बाबू' मामले ने आरटीपीएस पोर्टल की विश्वसनीयता को चुनौती दी

बिहार में 'डॉग बाबू' मामले ने सरकारी पोर्टल आरटीपीएस की विश्वसनीयता को गंभीर चुनौती दी है। नवादा जिले में एक और फर्जी आवेदन सामने आया है, जिसमें कुत्ते के नाम पर निवास प्रमाण पत्र मांगा गया। जिलाधिकारी रवि प्रकाश ने इस मामले पर त्वरित कार्रवाई करते हुए पुलिस को जांच के निर्देश दिए हैं। जानें इस फर्जीवाड़े के पीछे की कहानी और प्रशासन की प्रतिक्रिया।
 

बिहार में डॉग बाबू मामला

बिहार में डॉग बाबू मामला: बिहार में सरकारी पोर्टल आरटीपीएस की विश्वसनीयता एक बार फिर से सवालों के घेरे में आ गई है। पटना में 'डॉग बाबू' नामक कुत्ते के लिए जारी आवासीय प्रमाण पत्र के विवाद के बाद, नवादा जिले में 'डोगेश बाबू' के नाम से एक और फर्जी आवेदन सामने आया है। इस आवेदन में कुत्ते की तस्वीर और नाम के साथ निवास प्रमाण पत्र की मांग की गई, जिसने जिला प्रशासन को सतर्क कर दिया।


मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, इस गंभीर फर्जीवाड़े पर नवादा के जिलाधिकारी रवि प्रकाश ने त्वरित कार्रवाई करते हुए स्थानीय पुलिस को एफआईआर दर्ज करने और मामले की गहन जांच के निर्देश दिए हैं। डीएम ने इस घटना पर सोशल मीडिया पर टिप्पणी करते हुए लिखा, 'कॉपीकैट्स... या कहें कॉपी डॉग्स, फिर से पकड़े गए। यह एक भद्दा और पुराना मजाक है, जिसकी प्रशासनिक प्रक्रिया में कोई जगह नहीं है।'


प्रशासनिक व्यवस्था के साथ छेड़छाड़

रवि प्रकाश ने स्पष्ट किया कि प्रशासनिक व्यवस्था के साथ इस तरह की छेड़छाड़ किसी भी स्थिति में स्वीकार्य नहीं है और इस फर्जीवाड़े में शामिल व्यक्तियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाएगी।


निवास प्रमाण पत्र जारी

निवास प्रमाण पत्र जारी: इससे पहले पटना के मसौढ़ी अंचल कार्यालय में एक पालतू कुत्ते 'डॉग बाबू' के नाम पर जारी निवास प्रमाण पत्र ने भी सरकार की किरकिरी कराई थी। इस मामले की जांच के लिए पटना जिलाधिकारी थियागराजन ने उच्च अधिकारियों के साथ कार्यालय का निरीक्षण किया था। उन्होंने बताया कि यह प्रमाण पत्र फर्जी दस्तावेजों के आधार पर जारी किया गया था और यह कोई त्रुटि नहीं, बल्कि जानबूझकर की गई साजिश थी, जिससे राज्य सरकार और प्रशासन की छवि को नुकसान पहुंचाया गया।


आरटीपीएस पोर्टल की सुरक्षा

अब लगातार सामने आ रही ऐसी घटनाएं आरटीपीएस पोर्टल की सुरक्षा और सत्यापन प्रणाली की खामियों को उजागर कर रही हैं। हालांकि, पटना मामले में तत्काल प्रमाण पत्र को रद्द कर दिया गया और जिम्मेदार कर्मचारियों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई पर विचार किया जा रहा है।