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बिहार में प्रशांत किशोर की बदलाव यात्रा: राजनीतिक परिदृश्य में नई हलचल

बिहार की राजनीति में प्रशांत किशोर की जन सुराज पार्टी की बदलाव यात्रा ने नई हलचल पैदा की है। यह यात्रा 15 दिनों में 20 विधानसभा क्षेत्रों में पहुंची है, जहां प्रशांत किशोर ने बिहार की वर्तमान स्थिति का विश्लेषण किया है। वे मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को हटाने की आवश्यकता पर जोर देते हैं और बिहार को एक विकासशील राज्य बनाने का सपना देखते हैं। जानें इस यात्रा के राजनीतिक प्रभाव और भविष्य की संभावनाएं।
 

बिहार की सियासत में बदलाव की लहर

बिहार की राजनीति में इस समय एक नई ऊर्जा और परिवर्तन की लहर देखी जा रही है। इसका मुख्य केंद्र प्रशांत किशोर (पीके) द्वारा संचालित जन सुराज पार्टी की बिहार बदलाव यात्रा है। यह यात्रा सिताब दियारा से प्रारंभ होकर 15 दिनों में लगभग 20 विधानसभा क्षेत्रों में अपनी उपस्थिति दर्ज करा चुकी है। सारण, सिवान, गोपालगंज, वैशाली, मुजफ्फरपुर और मोतिहारी जैसे प्रमुख जिलों में इस यात्रा ने राजनीतिक हलचल पैदा कर दी है।


प्रशांत किशोर की खासियत उनकी प्रभावशाली और स्पष्ट बातचीत है। वे 20-25 मिनट के भाषणों में बिहार की वर्तमान स्थिति का विश्लेषण करते हैं, यह बताते हुए कि वोट किस मुद्दे पर दिया गया और वह क्यों पूरा नहीं हुआ। वे स्पष्ट रूप से कहते हैं कि बिहार में बदलाव की आवश्यकता है और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को हटाना आवश्यक है। मोदी की लोकप्रियता और उनके 56 इंच के सीने की चर्चा करते हुए, वे कहते हैं कि लोग अपने बच्चों के 15 इंच के सीने की तुलना प्रधानमंत्री मोदी के 56 इंच के सीने से करते हैं, जो चिंता का विषय है।


जन सुराज पार्टी की चुनावी रणनीति

प्रशांत किशोर, जो एक अनुभवी चुनावी रणनीतिकार हैं, अब राजनेता के रूप में बिहार की 243 विधानसभा सीटों तक अपनी बदलाव यात्रा लेकर जा रहे हैं। उनकी योजना हर विधानसभा में एक बड़ी सभा और दो छोटी सभाओं की होती है, जिससे उनकी बात grassroots से लेकर सोशल मीडिया तक पहुंच सके।


हालांकि, प्रशांत किशोर खुद को मुख्यमंत्री के उम्मीदवार के रूप में नहीं देखते। वे कहते हैं, "सीएम बनना मेरा छोटा सपना है। मेरा बड़ा सपना यह है कि महाराष्ट्र, गुजरात और पंजाब से लोग बिहार आकर काम करने लगें।" यह दर्शाता है कि उनका दृष्टिकोण केवल सत्ता में बैठने का नहीं, बल्कि बिहार को एक विकासशील राज्य बनाने का है।


जन सुराज की सरकार बनने की संभावना

जन सुराज पार्टी को कितने वोट मिलेंगे या कितनी सीटें प्राप्त होंगी, इसका अनुमान अभी तक स्पष्ट नहीं है। प्रशांत किशोर का कहना है कि बिहार में बदलाव होगा और नीतीश कुमार जाएंगे, यह निश्चित है, लेकिन जन सुराज की सरकार बनने की कोई गारंटी नहीं है।


यह महत्वपूर्ण है क्योंकि यदि एक अनुभवी चुनावी रणनीतिकार भी इतनी अनिश्चितता व्यक्त कर रहा है, तो बिहार की राजनीतिक स्थिति कितनी जटिल होगी, इसे समझना आवश्यक है।


बिहार की चुनावी स्थिति

2024 के लोकसभा चुनाव के आंकड़ों के अनुसार, नीतीश कुमार के नेतृत्व वाले एनडीए गठबंधन को बिहार की 40 में से 30 सीटें मिलीं और 47.23 प्रतिशत वोट प्राप्त हुए। विपक्षी महागठबंधन को 9 सीटें और 39.21 प्रतिशत वोट मिले। पूर्णिया में निर्दलीय पप्पू यादव की जीत ने भी इस समीकरण को चुनौती दी है। दोनों गठबंधनों के बीच लगभग 8 प्रतिशत वोट का अंतर है, जो काफी बड़ा माना जाता है।


तेजस्वी यादव के लिए यह चुनौतीपूर्ण स्थिति है कि वे इस अंतर को कम करें, ताकि अगला विधानसभा चुनाव उनके लिए लाभकारी साबित हो।