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बिहार में भाजपा के अंदर घमासान: नेताओं की दावेदारी और प्रशांत किशोर का खुलासा

बिहार में भारतीय जनता पार्टी के भीतर एक बड़ा विवाद छिड़ गया है, जहां नेता चुनाव से पहले मुख्यमंत्री पद की दावेदारी को मजबूत करने में जुटे हैं। प्रशांत किशोर ने भाजपा के नेताओं के खिलाफ कई खुलासे किए हैं, जिससे पार्टी में असहमति की स्थिति उत्पन्न हो गई है। दिलीप जायसवाल और मंगल पांडेय जैसे नेताओं को अपने बचाव में अकेले ही खड़ा होना पड़ा है। इस आंतरिक संघर्ष का भाजपा के चुनावी प्रदर्शन पर गंभीर प्रभाव पड़ सकता है। जानें इस घमासान के पीछे की सच्चाई और आगे क्या हो सकता है।
 

भाजपा में उठापटक

बिहार में भारतीय जनता पार्टी के भीतर एक बड़ा विवाद उत्पन्न हो गया है। ऐसा प्रतीत होता है कि सभी नेता चुनाव से पहले मुख्यमंत्री पद के लिए अपनी दावेदारी को मजबूत करने में जुटे हैं, और इसके लिए वे अपने संभावित प्रतिद्वंद्वियों को कमजोर करने का प्रयास कर रहे हैं। यदि ऐसा न होता, तो जन सुराज पार्टी के संस्थापक प्रशांत किशोर को इतनी सामग्री और सुविधाएं नहीं मिलतीं। वे भाजपा के प्रदेश नेताओं के बारे में लगातार सच्चे और झूठे खुलासे कर रहे हैं। हाल ही में, उन्होंने प्रदेश अध्यक्ष दिलीप जायसवाल के मेडिकल कॉलेज से संबंधित कथित गड़बड़ियों का खुलासा किया और मंगल पांडेय के विभाग में अनियमितताओं का मुद्दा उठाया। उनका दावा है कि वे आने वाले दिनों में और भी नेताओं की पोल खोलेंगे।


पार्टी में असहमति

सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि जब दिलीप जायसवाल पर प्रशांत किशोर ने हमला किया, तो पार्टी उनके समर्थन में नहीं आई। जायसवाल को अपनी रक्षा स्वयं करनी पड़ी, और यही स्थिति मंगल पांडेय के लिए भी रही। ऐसा प्रतीत होता है कि पार्टी के नेता एकजुट होकर प्रशांत किशोर पर हमला करने और अपने नेताओं का बचाव करने में असफल रहे हैं। इसके चलते यह भी कहा जा रहा है कि पार्टी के भीतर से ही नेताओं के बारे में सच्ची और झूठी बातें फैलाई जा रही हैं, और प्रशांत किशोर को दस्तावेज उपलब्ध कराए जा रहे हैं। कुछ बड़े नेताओं के नाम भी चर्चा में हैं, जिनकी अपनी कई गड़बड़ियां हैं। यदि अगले कुछ दिनों में प्रशांत किशोर उनकी पोल नहीं खोलते हैं, तो लोगों का संदेह यकीन में बदल जाएगा। इस आंतरिक संघर्ष का भाजपा के चुनावी प्रदर्शन पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।