बिहार में भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टॉलरेंस नीति से 16 लोकसेवकों को मिली सजा
मुख्यमंत्री की जीरो टॉलरेंस नीति का असर
बिहार समाचार: मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की भ्रष्टाचार के प्रति जीरो टॉलरेंस नीति ने भ्रष्ट लोकसेवकों के बीच हड़कंप मचा दिया है। निगरानी अन्वेषण ब्यूरो के महानिदेशक जितेन्द्र सिंह गंगवार ने मंगलवार को उन अधिकारियों, लोक अभियोजकों और शिकायतकर्ताओं को सम्मानित किया, जिन्होंने भ्रष्ट लोकसेवकों को अदालत में सजा दिलाने में मदद की। यह सम्मान समारोह निगरानी अन्वेषण ब्यूरो के सभागार में आयोजित किया गया था।
भ्रष्ट लोकसेवकों को मिली सजा
महानिदेशक जितेन्द्र सिंह गंगवार ने बताया कि वर्ष 2025 के पहले सात महीनों में 16 भ्रष्ट लोकसेवकों को अदालत द्वारा दोषी ठहराया गया है, जो एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है। जनवरी से जून के बीच 12 लोकसेवकों को सजा दी गई है, जबकि साल के अंत में अभी भी पांच महीने बाकी हैं। गंगवार ने कहा कि यह सफलता तब संभव हुई जब निगरानी के अधिकारियों ने परिवादियों और लोक अभियोजकों के साथ मिलकर काम किया। इस साल के पहले छह महीनों में 45 लोकसेवकों को रंगे हाथों गिरफ्तार किया गया, जबकि पिछले वर्ष केवल 12 लोगों को गिरफ्तार किया गया था।
सम्मानित अधिकारियों की सूची
इस अवसर पर सम्मानित होने वाले परिवादी आफताब आलम और परमानन्द कुमार भी उपस्थित थे, जिनकी मेहनत की सराहना गंगवार ने की। इस समारोह में ब्यूरो की पुलिस महानिरीक्षक गरिमा मल्लिक, डीआईजी नवीन कुमार झा और अन्य अधिकारी भी शामिल हुए। भ्रष्ट लोकसेवकों के खिलाफ सूचना देने वाले परिवादियों और निगरानी के अधिकारियों को भी सम्मानित किया गया।
महानिदेशक का बयान
महानिदेशक जितेन्द्र सिंह गंगवार ने कहा कि सम्मानित परिवादियों को हरित पौधों के गमले और प्रशस्तिपत्र दिए गए। उन्होंने यह भी बताया कि सेवानिवृत्त अधिकारियों को कोर्ट में गवाही देने के लिए अब दैनिक भत्ता और यात्रा भत्ता दिया जाएगा। गंगवार ने कहा कि हम केवल उन मामलों की समीक्षा नहीं कर रहे हैं, जिनमें अभियुक्तों को सजा मिली है, बल्कि उन मामलों का भी अध्ययन कर रहे हैं, जिनमें अभियुक्तों को बरी किया गया है। निगरानी ब्यूरो की आईजी गरिमा मल्लिक ने कहा कि भ्रष्ट लोकसेवकों को पकड़ने में परिवादियों की भूमिका सबसे महत्वपूर्ण होती है।