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बिहार में महागठबंधन का विस्तार: नई पार्टियों का शामिल होना और सीट बंटवारे की चुनौतियाँ

बिहार में महागठबंधन ने दो नई पार्टियों का समावेश किया है, जिसमें झारखंड मुक्ति मोर्चा और राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी शामिल हैं। इस विस्तार के साथ, सीट बंटवारे की जटिलताएँ भी सामने आई हैं। कांग्रेस और राजद के बीच सीटों का बंटवारा कैसे होगा, यह एक बड़ा सवाल है। जानें इस गठबंधन का भविष्य और राजनीतिक समीकरणों के बारे में अधिक जानकारी।
 

महागठबंधन में नई पार्टियों का आगमन

बिहार में विपक्षी गठबंधन ने जोर-शोर से यह प्रचारित किया है कि महागठबंधन में दो नई राजनीतिक पार्टियों का समावेश किया गया है। झारखंड मुक्ति मोर्चा पहले से ही झारखंड में महागठबंधन का हिस्सा है, लेकिन अब यह बिहार में भी शामिल होने जा रहा है। इस घोषणा से पहले, झारखंड के मुख्यमंत्री और जेएमएम सुप्रीमो हेमंत सोरेन ने बिहार में वोटर अधिकार यात्रा के समापन समारोह में भाग लिया। इसके अलावा, रामविलास पासवान के भाई और पूर्व केंद्रीय मंत्री पशुपति पारस की पार्टी, राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी, को भी महागठबंधन में शामिल करने की घोषणा की गई। यह जानकारी तेजस्वी यादव के आवास पर हुई बैठक में साझा की गई। वर्तमान में महागठबंधन में पहले से छह पार्टियाँ शामिल हैं, जिनमें राजद, कांग्रेस, लेफ्ट की तीन पार्टियाँ और मुकेश सहनी की वीआईपी शामिल हैं। अब दो और पार्टियाँ इस गठबंधन में जुड़ गई हैं।


सीट बंटवारे की जटिलताएँ

अब सवाल यह उठता है कि इन आठ पार्टियों के बीच 243 सीटों का बंटवारा कैसे किया जाएगा? कांग्रेस पार्टी पिछली बार 70 सीटों पर चुनाव लड़ी थी और वह ज्यादा समझौता करने के मूड में नहीं है। वहीं, सीपीआई एमएल को विधानसभा और लोकसभा चुनाव में अपने प्रदर्शन के आधार पर सीटें बढ़वानी हैं। पिछली बार सीपीआई माले को 19 सीटें मिली थीं। नए सहयोगी मुकेश सहनी, जो पिछले विधानसभा चुनाव में एनडीए के साथ थे, अब महागठबंधन का हिस्सा बन गए हैं। राजद ने 144 सीटों पर चुनाव लड़ा था। यदि राजद और कांग्रेस अपनी सीटें नहीं छोड़ते हैं, तो अन्य पार्टियों के लिए एडजस्ट करना मुश्किल होगा। यदि हम कंजरवेटिव दृष्टिकोण से देखें, तो हेमंत सोरेन को कम से कम एक और अधिकतम दो सीटें देनी होंगी। वहीं, पशुपति पारस की पार्टी को तीन या चार सीटें देने की संभावना है। मुकेश सहनी 30 सीटों पर अड़े हैं, लेकिन उन्हें कम से कम 15 सीटें मिलेंगी। तीनों लेफ्ट पार्टियों को पिछली बार 29 सीटें मिली थीं, और इस बार यदि उन्हें 30 सीटें मिलती हैं, तो इन पार्टियों का हिस्सा 50 सीटों का होगा। इसके बाद, यदि राजद 140 सीटों पर चुनाव लड़ता है, तो कांग्रेस को 53 सीटों पर समझौता करना होगा। यदि कांग्रेस की सीटें बढ़ाई जाती हैं, तो राजद की सीटें और भी कम होंगी। इस प्रकार, महागठबंधन का भविष्य इन दोनों पार्टियों पर निर्भर करता है।