×

बिहार में मुख्यमंत्री पद को लेकर एनडीए की रणनीति पर उठे सवाल

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हालिया बिहार दौरे के दौरान मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के भविष्य को लेकर कई सवाल उठ रहे हैं। भाजपा ने स्पष्ट किया है कि चुनाव से पहले नीतीश को मुख्यमंत्री पद का दावेदार नहीं घोषित किया जाएगा। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा है कि चुनाव परिणाम के बाद ही मुख्यमंत्री का फैसला होगा। इस स्थिति में, क्या नीतीश कुमार फिर से मुख्यमंत्री बन पाएंगे? जानिए इस राजनीतिक समीकरण के पीछे की रणनीति और संभावनाएं।
 

प्रधानमंत्री मोदी के बिहार दौरे और राजनीतिक समीकरण

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले दो महीनों में बिहार का दौरा तीन बार किया। 24 अप्रैल को मधुबनी में, 27 मई को औरंगाबाद के बिक्रमगंज में और फिर 20 जून को सीवान में उन्होंने कई परियोजनाओं का उद्घाटन किया और एक जनसभा को संबोधित किया। इन सभी कार्यक्रमों में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी उपस्थित रहे। नीतीश ने प्रधानमंत्री मोदी का आभार व्यक्त करते हुए सभा में मौजूद लोगों से उन्हें नमन करने का आग्रह किया। हालांकि, नीतीश और जनता दल यू को जो उम्मीद थी, वह पूरी नहीं हुई। प्रधानमंत्री ने यह नहीं कहा कि 2025 में एनडीए जीतने पर नीतीश कुमार मुख्यमंत्री होंगे। 2020 में नीतीश को सीएम चेहरा घोषित किया गया था, लेकिन इस बार भाजपा ऐसा कोई वादा नहीं करना चाहती।


केंद्रीय गृह मंत्री का बयान और भविष्य की रणनीति

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने स्पष्ट किया है कि चुनाव से पहले एनडीए की ओर से मुख्यमंत्री पद का दावेदार घोषित नहीं किया जाएगा। उन्होंने पहले भी इस बात को दोहराया था। इस साल की शुरुआत में एक कार्यक्रम में उन्होंने कहा था कि बिहार के मुख्यमंत्री का निर्णय चुनाव के बाद होगा। हाल ही में दिए एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा कि चुनाव परिणाम के बाद ही मुख्यमंत्री का फैसला होगा। इसका अर्थ यह है कि भाजपा चुनाव के दौरान नीतीश के नेतृत्व में चुनाव लड़ने का दावा करेगी, लेकिन चुनाव परिणाम के बाद नीतीश को मुख्यमंत्री नहीं बनाया जाएगा।


क्या बिहार में मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र का मॉडल सफल होगा?

हालांकि, सवाल यह है कि क्या मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र का मॉडल बिहार में लागू किया जा सकता है? जब तक नीतीश कुमार मानसिक और शारीरिक रूप से स्वस्थ थे, तब तक इस पर विचार नहीं किया जा सकता था। लेकिन अब उनकी मानसिक स्थिति अस्थिर हो गई है। भाजपा को यह अवसर मिला है कि वह जनता दल यू के अन्य नेताओं और रिटायर अधिकारियों पर दबाव डालकर अपने मनमाने फैसले लागू कर सके। जनता दल यू के नेता अब भी नीतीश को मुख्यमंत्री पद का दावेदार मानते हैं और उन्होंने नारा दिया है, '25 से 30 फिर से नीतीश'। लेकिन भाजपा के नेता इस नारे को नहीं अपना रहे हैं और अपने मुख्यमंत्री बनाने की तैयारी कर रहे हैं।