बिहार राजनीति में संजय यादव और रमीज़ का विवाद: रोहिणी की चौंकाने वाली घोषणा
संजय यादव कौन हैं?
संजय यादव का परिचय: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में राजद की हार के बाद, लालू प्रसाद यादव के परिवार में छिपा तनाव अब खुलकर सामने आ गया है। लालू के बड़े बेटे तेज प्रताप यादव ने पहले ही पार्टी से दूरी बना ली थी, और अब उनकी बेटी रोहिणी आचार्य ने सोशल मीडिया पर राजनीति और परिवार से अलग होने की घोषणा की है।
रोहिणी ने अपनी भावुक पोस्ट में संजय यादव और रमीज़ का नाम लिया, जिससे यह सवाल उठता है कि ये लोग कौन हैं जो परिवार में दरार पैदा कर रहे हैं?
संजय यादव: तेजस्वी के करीबी सहयोगी
संजय यादव बिहार की राजनीति में एक जाना-पहचाना नाम हैं। वह तेजस्वी यादव के सबसे करीबी सहयोगियों में से एक हैं।
हरियाणा के महेंद्रगढ़ के निवासी संजय ने कंप्यूटर साइंस में एमएससी और एमबीए की डिग्री प्राप्त की है। राजनीति में आने से पहले, उन्होंने निजी क्षेत्र में काम किया। 2012 में तेजस्वी से क्रिकेट के माध्यम से मुलाकात ने उनके जीवन को बदल दिया।
उनकी दोस्ती जल्द ही एक मजबूत राजनीतिक साझेदारी में बदल गई।
राजद की रणनीति में संजय का योगदान
संजय 2013 से तेजस्वी की कोर टीम का हिस्सा हैं और चुनावी रणनीति, डेटा विश्लेषण, सीट बंटवारे पर बातचीत, सोशल मीडिया अभियान और बैक-एंड वॉर-रूम संचालन का कार्य संभालते हैं।
उनकी बढ़ती प्रभावशीलता के कारण, राजद ने उन्हें 2024 में राज्यसभा भेजा, जिससे उनकी पार्टी में अहमियत और बढ़ गई।
तेज प्रताप का संजय पर आरोप
हालांकि, संजय का बढ़ता कद परिवार के कुछ सदस्यों को पसंद नहीं आया। तेज प्रताप ने उन पर पार्टी के निर्णयों से अलग-थलग करने का आरोप लगाया और उन्हें 'जयचंद' कहा, जिसका अर्थ विश्वासघात है।
अब रोहिणी द्वारा भी इसी तरह की शिकायतें दोहराए जाने के बाद, विवाद और गहरा हो गया है।
रमीज़ का परिचय
रोहिणी ने जिस दूसरे नाम का उल्लेख किया, वह रमीज़ या रमीज़ नेमत ख़ान हैं। वह तेजस्वी की राजनीतिक टीम के एक महत्वपूर्ण सदस्य हैं।
रमीज़ की भूमिका में प्रचार प्रबंधन, सोशल मीडिया समन्वय, दैनिक कार्यक्रम और रैली की योजना शामिल हैं।
चुनावी मौसम में रमीज़ का महत्व
रमीज़ को हमेशा तेजस्वी के चुनाव प्रचार के दौरान उनके साथ देखा जाता है। वह एक राजनीतिक परिवार से आते हैं, जिससे उन्हें राजनीतिक पहुँच और नेटवर्क मिला है।
परिवार में संकट का नया मोड़
रोहिणी द्वारा इन दोनों के कारण राजनीति और परिवार से दूरी बनाने की घोषणा के बाद, लालू परिवार के अंदर का संकट एक नया मोड़ ले चुका है।
यह पहली बार है जब आंतरिक सत्ता संघर्ष और सलाहकारों का प्रभाव सार्वजनिक रूप से सामने आया है, जिससे राजद के भविष्य पर गंभीर सवाल उठ रहे हैं।