×

बिहार विधानसभा उपचुनाव 2025: उपेंद्र कुशवाहा की नाराजगी से एनडीए को खतरा

बिहार विधानसभा उपचुनाव 2025 की तैयारियाँ चल रही हैं, लेकिन उपेंद्र कुशवाहा की नाराजगी ने एनडीए के लिए नई समस्याएँ उत्पन्न कर दी हैं। कुशवाहा की असंतोष का मुख्य कारण सीट बंटवारे में बदलाव है, जिससे उनकी पार्टी को नुकसान हो सकता है। बीजेपी के नेता उन्हें मनाने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन क्या यह प्रयास सफल होंगे? कुशवाहा का राजनीतिक इतिहास और उनके प्रभाव को समझना इस चुनाव में महत्वपूर्ण होगा। जानें इस मुद्दे पर और क्या हो रहा है।
 

बिहार विधानसभा उपचुनाव 2025 की चुनौतियाँ

Bihar Assembly election 2025, Upendra Kushwaha: बिहार विधानसभा उपचुनाव 2025 की तैयारियाँ तेज़ी से चल रही हैं, लेकिन एनडीए गठबंधन में सब कुछ सही नहीं है। सीटों के बंटवारे की घोषणा हो चुकी है, लेकिन उपेंद्र कुशवाहा की असंतोष ने गठबंधन के लिए नई समस्याएँ उत्पन्न कर दी हैं। कुशवाहा, जो राष्ट्रीय लोक जनता दल (RLJD) के नेता हैं, ने स्पष्ट रूप से कहा है कि "एनडीए में सब कुछ ठीक नहीं है।" उनकी नाराजगी और बिहार की 20 सीटों पर उनका प्रभाव एनडीए के लिए एक बड़ा सिरदर्द बन सकता है।


सूत्रों के अनुसार, उपेंद्र कुशवाहा की नाराजगी का मुख्य कारण सीट बंटवारे में बदलाव है। उनकी पार्टी को मधुबनी, उजियारपुर, बाजपट्टी, दिनारा और महुआ जैसी सीटें आवंटित की गई थीं, लेकिन महुआ सीट पर लोजपा (लोक जनशक्ति पार्टी) ने दावा कर दिया। इस बदलाव से कुशवाहा असंतुष्ट हो गए और उन्होंने अपने कार्यकर्ताओं को निर्देश दिया कि वे एनडीए के किसी भी उम्मीदवार के नामांकन में भाग न लें। उनकी यह सख्ती गठबंधन के लिए खतरे की घंटी साबित हो रही है।


बीजेपी की कुशवाहा को मनाने की कोशिशें

उपेंद्र कुशवाहा को मनाने में जुटी BJP


कुशवाहा को मनाने के प्रयास में बीजेपी के कई प्रमुख नेता, जैसे डिप्टी सीएम सम्राट चौधरी, नित्यानंद राय, नितिन नवीन और ऋतुराज सिन्हा, उनके निवास पर गए, लेकिन बातचीत सफल नहीं हो पाई। कुशवाहा ने पटना में अपनी पार्टी की बैठक बुलाई थी, जिसे बाद में स्थगित कर दिया गया। उन्होंने सोशल मीडिया पर बताया कि वे केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से चर्चा के लिए दिल्ली जा रहे हैं। लेकिन सवाल यह है कि क्या यह मुलाकात उनकी नाराजगी को समाप्त कर पाएगी?


कुशवाहा का राजनीतिक इतिहास और प्रभाव

कुशवाहा का सियासी इतिहास और प्रभाव


उपेंद्र कुशवाहा बिहार की राजनीति में एक प्रमुख नाम हैं। बिहार की कुल जनसंख्या में कुशवाहा जाति का हिस्सा लगभग 4.21% है और यह समुदाय परंपरागत रूप से एनडीए का वोटर माना जाता है। हालांकि, कुशवाहा की राजनीतिक चालें हमेशा से अप्रत्याशित रही हैं। 2010 में वे जेडीयू के साथ थे और 2015 में बीजेपी के साथ चुनाव लड़ा। लेकिन 2020 में उन्होंने तीसरा मोर्चा बनाकर 99 सीटों पर चुनाव लड़ा, लेकिन एक भी सीट नहीं जीत पाए। फिर भी, उन्होंने 1.77% वोट हासिल किए और 13 सीटों पर एनडीए को नुकसान पहुँचाया।


कुशवाहा का प्रभावी वोट बैंक

20 सीटों पर कुशवाहा का दम


बिहार में ऐसी 20 विधानसभा सीटें हैं, जहाँ कुशवाहा वोटर निर्णायक भूमिका निभा सकते हैं। ये सीटें हैं: सुगौली, बाजपट्टी, बेलसंड, कुढ़नी, सिवान, बड़हरिया, महाराजगंज, बखरी, भागलपुर, धोरैया, इस्लामपुर, बक्सर, मोहनिया, भभुआ, दिनारा, गोह, नबीनगर, बोधगया, अतरी और सिकंदरा। इन क्षेत्रों में कुशवाहा समुदाय की अच्छी-खासी आबादी है और उपेंद्र कुशवाहा का प्रभाव यहाँ स्पष्ट है। यदि वे एनडीए के खिलाफ जाते हैं, तो गठबंधन का समीकरण बिगड़ सकता है।