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बिहार विधानसभा चुनाव 2025: चिराग पासवान का नीतीश कुमार पर हमला

बिहार विधानसभा चुनाव 2025 की तैयारियाँ तेज हो गई हैं, जहां चिराग पासवान ने नीतीश कुमार की सरकार पर तीखे हमले किए हैं। उन्होंने राज्य में बिगड़ती कानून-व्यवस्था को लेकर गंभीर सवाल उठाए हैं। चिराग ने सभी 243 सीटों पर चुनाव लड़ने की घोषणा की है, जिससे राजनीतिक हलचल बढ़ गई है। क्या वे फिर से नीतीश का खेल बिगाड़ेंगे? जानें इस चुनावी मुकाबले की पूरी कहानी और संभावनाएँ।
 

बिहार विधानसभा चुनाव 2025:

बिहार की राजनीतिक गतिविधियाँ एक बार फिर तेज हो गई हैं, और इस बार केंद्रीय मंत्री तथा लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के नेता चिराग पासवान पूरी तरह से सक्रिय हैं। 2020 के विधानसभा चुनावों में उन्होंने नीतीश कुमार की जेडीयू को जिस तरह से कमजोर किया था, वैसी ही रणनीतियाँ अब फिर से अपनाई जा रही हैं। इस बार उनका मुख्य मुद्दा राज्य में बिगड़ती कानून-व्यवस्था है।


नीतीश सरकार पर हमले

चिराग ने हाल ही में नीतीश सरकार पर कई तीखे हमले किए हैं, विशेषकर राज्य में हुई हाई-प्रोफाइल हत्याओं को लेकर। उन्होंने कहा कि बिहार में कानून-व्यवस्था पूरी तरह से ध्वस्त हो चुकी है, अपराधी बेखौफ हैं और पुलिस केवल मूक दर्शक बनी हुई है। उन्होंने सवाल उठाया, 'आखिर कितने बिहारियों की हत्या होगी?' पटना के पॉश इलाके में दिनदहाड़े हुई कारोबारी गोपाल खेमका की हत्या को लेकर उन्होंने सरकार को सीधे कटघरे में खड़ा किया और पूछा कि जब राजधानी में यह स्थिति है, तो गांवों में क्या हाल होगा?


नीतीश कुमार पर सीधा हमला

यह चौंकाने वाला है कि चिराग खुद एनडीए का हिस्सा हैं और केंद्र में मंत्री हैं, फिर भी वे नीतीश कुमार पर सीधे हमले कर रहे हैं, जबकि भाजपा पर एक शब्द भी नहीं बोल रहे। उनका कानून-व्यवस्था पर हमला भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा से मुलाकात के कुछ घंटों बाद आया। 2020 में भी उन्होंने एनडीए से अलग होकर चुनाव लड़ा था, लेकिन भाजपा से संबंध नहीं तोड़ा। उनकी लोजपा ने अधिकांश जेडीयू उम्मीदवारों के खिलाफ अपने प्रत्याशी उतारे और 27 से अधिक सीटों पर जेडीयू को हराने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।


243 सीटों पर चुनाव लड़ने का ऐलान

अब जब बिहार चुनाव नजदीक हैं, चिराग ने घोषणा की है कि वे सभी 243 सीटों पर चुनाव लड़ेंगे। इससे अटकलें तेज हो गई हैं कि क्या चिराग फिर से 2020 वाली रणनीति को दोहराने की योजना बना रहे हैं? उनके इस बदले हुए तेवर का उद्देश्य भाजपा के साथ मिलकर सीटों का बेहतर बंटवारा हासिल करना भी हो सकता है। यदि बात नहीं बनी, तो वह फिर से नीतीश के खिलाफ मोर्चा खोल सकते हैं, ताकि नुकसान केवल जेडीयू को हो, भाजपा को नहीं।


चुनाव की चुनौतियाँ

जेडीयू, जो खुद को अब भी बड़ा खिलाड़ी मानती है, शायद चिराग की मांगों के आगे झुकने को तैयार नहीं होगी। ऐसे में यदि चिराग अकेले चुनावी मैदान में उतरते हैं, तो नीतीश कुमार की मुश्किलें कई गुना बढ़ सकती हैं। स्वास्थ्य कारणों और राजनीतिक दबाव से पहले ही जूझ रहे नीतीश के लिए यह चुनाव अब तक का सबसे कठिन मुकाबला साबित हो सकता है।


भविष्य की संभावनाएँ

क्या चिराग फिर से नीतीश का खेल बिगाड़ेंगे? क्या भाजपा एक बार फिर चुपचाप यह सब होते देखेगी? आने वाले हफ्ते बिहार की राजनीति में कई महत्वपूर्ण मोड़ ला सकते हैं।