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बिहार विधानसभा चुनाव 2025: मतदाता सूची का शुद्धिकरण और मतदान प्रक्रिया

बिहार विधानसभा चुनाव 2025 की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है, जिसमें मतदाता सूची का शुद्धिकरण और मतदान की तैयारी शामिल है। मुख्य चुनाव आयुक्त ने बताया कि बिहार में कुल 7.43 करोड़ मतदाता हैं, जिनमें पुरुष, महिलाएं और ट्रांसजेंडर मतदाता शामिल हैं। 22 वर्षों के बाद मतदाता सूची का शुद्धिकरण किया गया है, जिससे चुनावी प्रक्रिया में पारदर्शिता बढ़ेगी। जानें इस चुनाव की महत्वपूर्ण जानकारी और मतदान प्रक्रिया के बारे में।
 

बिहार विधानसभा चुनाव की तैयारी

बिहार विधानसभा चुनाव 2025: बिहार में विधानसभा चुनाव का आगाज हो चुका है। यह चुनाव पांच सालों के बाद हो रहा है, और इसकी प्रक्रिया दो चरणों में पूरी की जाएगी। पहले चरण में मतदाता सूची का निर्माण किया जाएगा, जबकि दूसरे चरण में चुनाव का आयोजन होगा।


मतदाता सूची का शुद्धिकरण

मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने जानकारी दी कि जून 2025 से शुरू हुए एसआईआर के तहत मतदाता सूची का शुद्धिकरण किया गया। एक अगस्त को ड्राफ्ट सूची जारी की गई, जिसे सभी राजनीतिक दलों को सौंपा गया। दावों और आपत्तियों के लिए एक सितंबर तक का समय दिया गया। इसके बाद पात्रता की जांच की गई और 30 सितंबर को अंतिम मतदाता सूची प्रकाशित की गई। यदि किसी को अपनी जानकारी में त्रुटि मिलती है, तो वह जिलाधिकारी के पास अपील कर सकता है। नामांकन के 10 दिन पहले तक नाम जोड़ने की सुविधा भी उपलब्ध है।


बिहार में मतदाता आंकड़े

मुख्य चुनाव आयुक्त के अनुसार, बिहार में कुल 7.43 करोड़ मतदाता हैं, जिनमें लगभग 3.92 करोड़ पुरुष, 3.50 करोड़ महिलाएं और 1,725 ट्रांसजेंडर मतदाता शामिल हैं। इसके अलावा, 7.2 लाख दिव्यांग मतदाता और 4.04 लाख 85 वर्ष से अधिक आयु के वरिष्ठ नागरिक भी वोटर सूची में हैं। 30 सितंबर 2025 तक के आंकड़ों के अनुसार, 1.63 लाख सर्विस वोटर्स और 14.01 लाख पहली बार वोट देने वाले युवा मतदाता (18-19 वर्ष) भी शामिल हैं।


मतदाता सूची का शुद्धिकरण 22 वर्षों बाद

22 वर्षों बाद मतदाता सूची का शुद्धिकरण:
मुख्य चुनाव आयुक्त ने बताया कि बिहार में लगभग 22 वर्षों के बाद मतदाता सूची का शुद्धिकरण किया गया है। सभी राजनीतिक दलों ने इस प्रक्रिया की मांग की थी, क्योंकि मतदाता सूची में कई गड़बड़ियां थीं। सोशल मीडिया पर इस मुद्दे पर काफी चर्चा हुई। 243 विधानसभाओं में 1.6 लाख बूथ लेवल एजेंट्स के साथ मिलकर जमीनी स्तर के अधिकारियों ने इस कार्य में कड़ी मेहनत की है। एक नई व्यवस्था भी लागू की गई है, जिसके तहत किसी भी पोलिंग स्टेशन के बाहर मतदाता अपना मोबाइल फोन जमा कर सकते हैं और वोट डालने के बाद इसे वापस ले जा सकते हैं।