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बिहार विधानसभा चुनाव 2025: मतदाता सूची के पुनरीक्षण पर उठे सवाल

बिहार विधानसभा चुनाव 2025 की तैयारी के बीच मतदाता सूची के पुनरीक्षण को लेकर विवाद बढ़ गया है। चुनाव आयोग ने 2003 की सूची को आधार मानकर विशेष पुनरीक्षण की प्रक्रिया शुरू की है, जिससे कई नागरिक बिना अतिरिक्त कागजी प्रक्रिया के फिर से पात्र माने जाएंगे। हालांकि, विपक्षी दलों ने इस कदम का विरोध किया है, इसे जनविरोधी करार देते हुए। जानें इस मुद्दे पर और क्या कहा गया है और इसका बिहार की राजनीति पर क्या असर पड़ेगा।
 

बिहार विधानसभा चुनाव 2025 की तैयारी

Bihar Elections 2025: बिहार में विधानसभा चुनावों की तारीखें नजदीक आ रही हैं, जिसके चलते मतदाता सूची के पुनरीक्षण को लेकर विवाद बढ़ गया है। चुनाव आयोग ने इस प्रक्रिया को पारदर्शी बनाने के लिए संविधान के अनुच्छेद 326 का संदर्भ दिया है, ताकि सभी योग्य नागरिकों को मतदान का अधिकार मिल सके।


मुख्य निर्वाचन आयुक्त का बयान

मुख्य निर्वाचन आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने सोशल मीडिया के माध्यम से जानकारी दी कि बिहार में 2003 की मतदाता सूची को आधार मानकर विशेष गहन पुनरीक्षण किया जाएगा। इससे वे नागरिक, जिनके या उनके माता-पिता के नाम उस सूची में हैं, बिना किसी अतिरिक्त कागजी प्रक्रिया के फिर से पात्र माने जाएंगे।


अनुच्छेद 326 का महत्व

क्यों अहम है अनुच्छेद 326?


अनुच्छेद 326 यह सुनिश्चित करता है कि लोकसभा और विधानसभा चुनावों में मतदान का अधिकार वयस्क मताधिकार के आधार पर होगा। इसका मतलब है कि हर भारतीय नागरिक, जिसकी उम्र 18 वर्ष हो चुकी है और जो किसी कानूनी कारण से अपात्र नहीं है, उसे मतदान का अधिकार प्राप्त होगा।


आयोग का कहना है कि यह प्रावधान मतदाता सूची में अधिक पारदर्शिता और समावेशिता सुनिश्चित करता है। विशेष रूप से वे युवा, जिनके माता-पिता 2003 की मतदाता सूची में शामिल थे, उन्हें अब केवल जन्म स्थान और तिथि से संबंधित दस्तावेज दिखाने होंगे।


2003 की सूची का महत्व

2003 की लिस्ट क्यों बनी आधार?


मुख्य निर्वाचन आयुक्त ने बताया कि 2003 की सूची में लगभग 4.96 करोड़ मतदाता शामिल थे। आयोग इस सूची को जल्द ही अपनी वेबसाइट पर सार्वजनिक करेगा, ताकि लोग अपने या अपने परिजनों के नाम की जांच कर सकें। इससे मतदाता सूची के पुनरीक्षण में पारदर्शिता और तेजी आएगी।


इस प्रक्रिया के तहत पुराने मतदाताओं को किसी नई दस्तावेजी प्रक्रिया से गुजरने की आवश्यकता नहीं होगी, और नए मतदाता भी सरल प्रक्रिया के तहत शामिल हो सकेंगे।


बिहार की राजनीति में हलचल

बिहार की सियासत में नई गर्मी


इंडी गठबंधन सहित विपक्षी दलों ने इस मुद्दे पर तीव्र विरोध शुरू कर दिया है। कांग्रेस, राजद, सपा और AIMIM जैसे दल सड़कों पर उतर आए हैं और इसे जनविरोधी करार दे रहे हैं। वहीं आयोग का कहना है कि यह कदम लोकतंत्र को मजबूत करेगा।