बिहार विधानसभा चुनाव 2025: महागठबंधन में बढ़ते मतभेदों का असर
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में महागठबंधन की चुनौतियाँ
Bihar Assembly Election 2025: बिहार में विपक्षी महागठबंधन, जिसमें राष्ट्रीय जनता दल (राजद) और कांग्रेस शामिल हैं, के बीच बढ़ते मतभेदों ने गठबंधन की एकता को खतरे में डाल दिया है। आगामी विधानसभा चुनावों के लिए सीटों के बंटवारे और मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार के चयन को लेकर दोनों दलों के बीच तनाव बढ़ता जा रहा है। यह स्थिति मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व वाले एनडीए के खिलाफ गठबंधन की एकता पर सवाल खड़ा कर रही है।
कुटुम्बा विधानसभा में विवाद
हाल ही में, औरंगाबाद जिले के कुटुम्बा विधानसभा क्षेत्र में बिहार कांग्रेस के अध्यक्ष राजेश राम ने महागठबंधन के सहयोगियों की एक कार्यकर्ता बैठक आयोजित की। लेकिन राजद के प्रखंड और ज़िला अध्यक्षों ने पूर्व विधायक सुरेश पासवान के साथ बिना किसी कारण बताए बैठक का बहिष्कार किया। इसके जवाब में, राजद ने पासवान के नेतृत्व में अपनी रणनीति बैठक आयोजित की। 2005 में कुटुम्बा सीट से राजद के विधायक और मंत्री रहे पासवान ने इस अवसर का उपयोग पार्टी कार्यकर्ताओं को एकजुट करने और गठबंधन में अपनी स्थिति को मजबूत करने के लिए किया।
तेजस्वी यादव की स्थिति
पिछले हफ्ते, कांग्रेस के बिहार प्रभारी कृष्णा अल्लावारू के बयान ने विवाद को बढ़ा दिया, जिसमें उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री पद का चेहरा बिहार की जनता तय करेगी। इससे राजद नाराज हो गया। राजद नेता तेजस्वी यादव ने खुद को असली मुख्यमंत्री के रूप में प्रस्तुत किया और नीतीश कुमार की आलोचना की। 13 सितंबर को मुजफ्फरपुर के कांटी में एक कार्यकर्ता रैली में तेजस्वी ने घोषणा की कि वह 243 सीटों पर चुनाव लड़ेंगे और एनडीए को सत्ता से बाहर करने के लिए एकजुट प्रयास करेंगे।
कांग्रेस की प्रतिक्रिया
कांग्रेस के युवा नेता कन्हैया कुमार ने स्पष्ट किया कि पार्टी 70 सीटों तक सीमित नहीं रहेगी और गठबंधन की सभी 243 सीटों पर चुनाव लड़ने का इरादा रखती है। उन्होंने कहा कि उम्मीदवार के चयन का निर्णय पार्टी करेगी, लेकिन गठबंधन के सामूहिक दृष्टिकोण को भी महत्व दिया जाएगा।
अन्य सहयोगियों की स्थिति
सीपीआई-एमएल लिबरेशन 40-45 सीटों का दावा कर रही है। झामुमो और आरएलजेपी राजद के साथ बातचीत कर रहे हैं, जबकि एआईएमआईएम गठबंधन में शामिल होने के लिए संपर्क में है।
विश्लेषकों की राय
राजनीतिक विश्लेषक रमाशंकर आर्य इसे राजद के प्रभुत्व को मजबूत करने और सहयोगियों से रियायतें लेने की रणनीति मानते हैं। नवल किशोर चौधरी ने चेतावनी दी कि अनसुलझे तनाव विपक्षी वोट को विभाजित कर सकते हैं और एनडीए को फायदा पहुंचा सकते हैं। उन्होंने कहा कि बिहार की राजनीति में जातिगत समीकरण और सत्ता का खेल निर्णायक होगा, लेकिन अंतिम क्षण में समझौते की संभावना बनी रहती है।
आगामी चुनौती
बिहार विधानसभा में 243 सीटों के लिए मुकाबला महत्वपूर्ण होगा। 2020 में गठबंधन ने 110 सीटें जीतकर एनडीए की 125 सीटों से पीछे रहा था। नए दलों के प्रवेश और बदलती राजनीतिक गतिशीलता के चलते इस बार चुनाव और खंडित और प्रतिस्पर्धात्मक होने की संभावना है, जो राज्य के राजनीतिक परिदृश्य को नया रूप दे सकती है।