बिहार विधानसभा चुनाव 2025: मुस्लिम वोट बैंक की भूमिका पर नजर
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 की तैयारी
Bihar Election 2025: बिहार में इस वर्ष के अंत में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं, जिसके चलते राजनीतिक गतिविधियाँ तेज हो गई हैं। हाल ही में गांधी मैदान में इमारत-ए-शरिया द्वारा एक विशाल रैली का आयोजन किया गया, जिसमें अल्पसंख्यक समुदाय के कई लोग शामिल हुए। इमारत-ए-शरिया एक धार्मिक संगठन है, जो इस्लाम और शरिया के सिद्धांतों पर कार्य करता है और बिहार, ओडिशा तथा झारखंड में सक्रिय है। बिहार में मुस्लिम जनसंख्या लगभग 17.7 प्रतिशत है, जो विभिन्न राजनीतिक दलों के लिए महत्वपूर्ण है।
बिहार की जनसंख्या में वृद्धि
बिहार की कुल जनसंख्या 13.07 करोड़ है, जो 2011 के मुकाबले बढ़ी है
2023 की जाति आधारित जनगणना के अनुसार, बिहार की जनसंख्या 13.07 करोड़ है, जबकि 2011 में यह संख्या 10.41 करोड़ थी। इमारत-ए-शरिया की रैली में कई प्रमुख नेता जैसे तेजस्वी यादव, दीपांकर भट्टाचार्य, पप्पू यादव और इमरान प्रतापगढ़ी शामिल हुए। बिहार में कुल 243 विधानसभा सीटें हैं, जिनमें से लगभग 47 सीटों पर मुस्लिम मतदाता महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
मुस्लिम विधायकों की संख्या में बदलाव
2020 में राजद के 8 मुस्लिम विधायक जीतकर विधानसभा पहुंचे थे
2020 के विधानसभा चुनाव में 20 मुस्लिम विधायक विधानसभा में पहुंचे, जबकि 2015 में यह संख्या 24 थी। चुनाव आयोग के आंकड़ों के अनुसार, मुस्लिम मतदाताओं का रुख लगातार बदल रहा है। असदुद्दीन ओवैसी की एआईएमआईएम ने 2020 में पांच सीटों पर चुनाव लड़ा और सभी जीतीं। वहीं, बीजेपी ने मुस्लिम बहुल 74 विधानसभा क्षेत्रों में अपने उम्मीदवार उतारे, लेकिन एक भी सीट नहीं जीत सकी।
मुस्लिम मतदाताओं का प्रभाव
24 विधानसभा सीटों पर मुस्लिम मतदाता प्रभावशाली भूमिका में
आगामी विधानसभा चुनाव में इमारत-ए-शरिया जैसे धार्मिक संगठनों का वोटिंग पर क्या प्रभाव पड़ेगा, यह देखना दिलचस्प होगा। बीजेपी, कांग्रेस, राजद और जेडीयू सभी मुस्लिम वोटों को अपने पक्ष में करने के लिए प्रयासरत हैं। 2020 में बीजेपी ने 74, राजद ने 75, जेडीयू ने 43, कांग्रेस ने 19 और सीपीआईएमएल ने 12 सीटों पर मुस्लिम उम्मीदवार उतारे थे। सीमांचल क्षेत्र की 24 विधानसभा सीटों पर मुस्लिम मतदाता महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, और कई सीटों पर 40% से अधिक मुस्लिम मतदाता हैं।