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बिहार विधानसभा चुनाव: इंडिया गठबंधन की चुनौतियाँ और महागठबंधन की नई रणनीतियाँ

बिहार विधानसभा चुनाव की घोषणा का इंतजार करते हुए राजनीतिक दलों ने अपनी तैयारियाँ तेज कर दी हैं। इंडिया गठबंधन में नई दलों की एंट्री और सीटों के बंटवारे की मांग ने स्थिति को जटिल बना दिया है। हेमंत सोरेन की झारखंड मुक्ति मोर्चा और लोजपा (पारस) गुट के शामिल होने से महागठबंधन में भी हलचल है। जानें कैसे तेजस्वी यादव और राहुल गांधी इस चुनौती का सामना करेंगे।
 

बिहार में चुनावी हलचल

बिहार में विधानसभा चुनाव की घोषणा अभी बाकी है, लेकिन राजनीतिक दलों ने अपनी तैयारियाँ शुरू कर दी हैं। इंडिया गठबंधन और एनडीए में शामिल छोटे दलों ने अपने रणनीतिक योजनाओं को राष्ट्रीय नेताओं के सामने पेश कर दिया है। इस समय इंडिया गठबंधन में सबसे अधिक गतिविधियाँ देखी जा रही हैं। इस बार हेमंत सोरेन की झारखंड मुक्ति मोर्चा और पशुपति पारस का लोजपा गुट भी इस गठबंधन में शामिल हो गए हैं। दोनों दल अधिक सीटों पर चुनाव लड़ने की इच्छा जता रहे हैं, जिससे इंडिया गठबंधन के लिए चुनौतियाँ बढ़ रही हैं।


महागठबंधन की स्थिति

महागठबंधन की बात करें तो इसमें राष्ट्रीय जनता दल, कांग्रेस, सीपीआई, सीपीएम और वीआईपी पार्टी पहले से शामिल थे। अब दो नए दलों ने भी इसमें प्रवेश किया है। हेमंत सोरेन की पार्टी और लोजपा (पारस) गुट अब महागठबंधन का हिस्सा हैं। इस प्रकार, अब कुल 8 दल मिलकर बिहार विधानसभा की 243 सीटों का बंटवारा करेंगे। कांग्रेस और भाकपा-माले इस बार पहले से अधिक सीटों की मांग कर रहे हैं। महागठबंधन में शामिल नए दल भी अपने लिए सीटें मांग रहे हैं। ऐसे में यह देखना दिलचस्प होगा कि तेजस्वी यादव और राहुल गांधी इस चुनौती का सामना कैसे करते हैं।