बिहार विधानसभा चुनाव में चिराग पासवान के लिए नई चुनौतियाँ
बिहार विधानसभा चुनाव की तैयारियों में उथल-पुथल
Bihar Assembly Election: बिहार विधानसभा चुनाव की तैयारियों के बीच लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के अध्यक्ष और केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान को नई मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। सारण जिले में पार्टी के 139 प्रमुख पदाधिकारियों और नेताओं ने सामूहिक रूप से इस्तीफा देकर संगठन में हलचल मचा दी है। इस्तीफों का मुख्य कारण जमुई सांसद और बिहार प्रभारी अरुण भारती पर लगे गंभीर अवैध वसूली के आरोप बताए जा रहे हैं। इसके साथ ही, खगड़िया सांसद राजेश वर्मा के तानाशाही व्यवहार की भी शिकायतें सामने आई हैं.
इस्तीफा देने वालों में पार्टी के कई प्रमुख चेहरे शामिल हैं, जिनमें पूर्व जिला अध्यक्ष और वर्तमान प्रदेश सचिव दीपक कुमार सिंह, 39 मंडल समिति सदस्य, 16 प्रखंड अध्यक्ष, 30 महिला समिति सदस्य और 40 नगर निकाय समिति सदस्य शामिल हैं। दीपक कुमार सिंह ने आरोप लगाते हुए कहा, "संकल्प यात्रा के नाम पर सारण में जबरन वसूली की गई। विरोध करने वाले कार्यकर्ताओं को अपमानित किया गया।" उन्होंने यह भी कहा कि चिराग पासवान के जीजा अरुण भारती पार्टी को निजी कंपनी की तरह चला रहे हैं, जिससे कार्यकर्ताओं में भारी असंतोष है.
एनडीए में निष्ठा बनाए रखेंगे नेता
सारण के नाराज नेताओं ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में अरुण भारती और राजेश वर्मा के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। दीपक कुमार सिंह ने स्पष्ट किया कि इस्तीफा देने के बावजूद वे एनडीए गठबंधन के प्रति अपनी निष्ठा बनाए रखेंगे। उन्होंने कहा कि सभी नेता जल्द ही एकजुट होकर भविष्य की रणनीति तय करेंगे। यह कदम पार्टी के लिए आगामी चुनावों में चुनौतियाँ खड़ी कर सकता है.
खगड़िया में भी बगावत की लहर
यह पहली बार नहीं है जब लोजपा (रामविलास) में बगावत की खबरें आई हैं। पिछले महीने खगड़िया जिले में भी 38 नेताओं ने सामूहिक इस्तीफा दिया था। इनमें पूर्व जिलाध्यक्ष शिवराज यादव, प्रदेश महासचिव रतन पासवान और युवा जिलाध्यक्ष सुजीत पासवान जैसे प्रमुख नाम शामिल थे। वहां भी सांसद राजेश वर्मा के कार्यशैली से नाराजगी को इस्तीफों का मुख्य कारण बताया गया था.
चिराग पासवान के लिए चुनौतीपूर्ण समय
लोजपा (रामविलास) में लगातार हो रहे इस्तीफों ने पार्टी की आंतरिक एकता पर सवाल खड़े कर दिए हैं। बिहार विधानसभा चुनाव से पहले यह स्थिति चिराग पासवान के लिए गंभीर संकट पैदा कर सकती है। अब सभी की नजरें इस बात पर टिकी हैं कि चिराग पासवान इस बगावत को नियंत्रित करने और पार्टी को एकजुट रखने के लिए क्या कदम उठाते हैं.