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बिहार विधानसभा चुनाव से पहले जेडीयू में नेताओं की अदला-बदली

बिहार विधानसभा चुनाव के करीब आते ही जेडीयू में नेताओं की अदला-बदली का दौर शुरू हो गया है। चार वरिष्ठ नेताओं ने पार्टी से इस्तीफा देकर अन्य पार्टियों का दामन थाम लिया है, जिससे मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को बड़ा झटका लगा है। जानें इस राजनीतिक हलचल के पीछे की वजहें और नेताओं के नए राजनीतिक कदम।
 

नेताओं की पार्टी छोड़ने की लहर


पटना। बिहार विधानसभा चुनाव के नजदीक आते ही नेताओं के पार्टी बदलने का सिलसिला तेज हो गया है। सभी नेता अपनी सुविधाओं के अनुसार और विधानसभा टिकट के लिए पार्टी में बदलाव कर रहे हैं। इस बार बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को एक बड़ा झटका लगा है, क्योंकि जेडीयू के चार वरिष्ठ नेताओं ने पार्टी से इस्तीफा दे दिया है। इनमें से दो नेता मायावती की बहुजन समाजवादी पार्टी में शामिल हो गए हैं, जबकि एक नेता प्रशांत किशोर की जनसुराज पार्टी में चले गए हैं। एक नेता ने अभी तक किसी अन्य पार्टी में शामिल नहीं होने का निर्णय लिया है।


जदयू में चुनाव से पहले यह भूचाल आ गया है, जहां पार्टी के वरिष्ठ नेता और मौजूदा विधायक लगातार पार्टी छोड़ रहे हैं। सीतामढ़ी जिले के बेलसंड विधानसभा से जेडीयू नेता राणा रणधीर सिंह चौहान और उनकी पत्नी सुनीता सिंह चौहान ने भी पार्टी से इस्तीफा दे दिया है। सुनीता सिंह चौहान 2020 में बेलसंड विधानसभा चुनाव में जेडीयू की उम्मीदवार थीं, लेकिन इस बार उनका टिकट काट दिया गया, जिसके कारण उन्होंने अपने पति के साथ मिलकर मायावती की बहुजन समाजवादी पार्टी में शामिल होने का निर्णय लिया। सुनीता ने कहा कि जेडीयू में टिकट वितरण की प्रक्रिया अन्यायपूर्ण और पक्षपातपूर्ण रही है, जिसमें लंबे समय से जुड़े कार्यकर्ताओं को नजरअंदाज किया गया।


इसके अलावा, पूर्व एमएलसी संजीव श्याम सिंह ने भी जेडीयू को छोड़कर प्रशांत किशोर की जनसुराज पार्टी का दामन थाम लिया है। संजीव ने बताया कि वे समता पार्टी के समय से नीतीश कुमार के साथ थे और दो बार शिक्षक निर्वाचन क्षेत्र से एमएलसी रह चुके हैं। वहीं, जेडीयू के पूर्व विधायक अशोक कुमार ने भी पार्टी छोड़ दी है, क्योंकि उनका टिकट इस बार काट दिया गया था। उन्होंने पार्टी नेतृत्व पर निष्ठावान कार्यकर्ताओं की अनदेखी का आरोप लगाया है।