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बिहार विधानसभा चुनाव से पहले मतदाता सूची में संशोधन पर विपक्ष का विरोध जारी

बिहार विधानसभा चुनाव से पहले मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण पर विपक्ष ने विरोध जारी रखा है। तेजस्वी यादव ने आरोप लगाया है कि वोटों की चोरी की तैयारी की जा रही है। उन्होंने चुनाव बहिष्कार का विकल्प भी रखा है। इस बीच, चुनाव आयोग ने बताया है कि 98.01 प्रतिशत मतदाता कवर किए जा चुके हैं। जानें इस मुद्दे पर और क्या कहा गया है और आगे की प्रक्रिया क्या होगी।
 

बिहार में मतदाता सूची का पुनरीक्षण

बिहार में विधानसभा चुनाव से पहले मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) अभियान के दौरान सरकार ने भरोसा दिलाया है कि किसी भी सही मतदाता का नाम नहीं काटा जाएगा। इसके बावजूद, विपक्ष ने विरोध जारी रखा है। बिहार विधानसभा में विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव ने आरोप लगाया है कि वोटों की चोरी की पूरी तैयारी की जा रही है।


तेजस्वी यादव ने मीडिया से बातचीत में कहा कि वोटों की चोरी हो रही है। उन्होंने कहा, "हमारे पास चुनाव बहिष्कार का विकल्प भी है, अगर बेईमानी और लोकतंत्र का अपमान किया जा रहा है। हम जनता और महागठबंधन के कार्यकर्ताओं से इस मुद्दे पर चर्चा करेंगे।"


उन्होंने चुनाव में हार के डर की बात पर कहा कि अगर हार से डरते तो क्या बार-बार चुनाव लड़ते? चुनाव आयोग के भाजपा के पक्ष में होने का आरोप लगाते हुए उन्होंने कहा कि लाखों वोटरों का नाम काटा गया है और सदन में झूठ बोला गया है।


मृत लोगों के नाम काटने के मुद्दे पर तेजस्वी यादव ने कहा कि यह हमेशा होता है। उन्होंने बताया कि गहन पुनरीक्षण 2003 में हुआ था और हालिया पुनरीक्षण की सूची फरवरी में आई थी। यह प्रक्रिया हर साल होती है।


एसआईआर में संदेह के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि एक अगस्त के बाद चुनाव आयोग असली खेल खेलने वाला है। उन्होंने कहा कि उन्हें भी पता होगा कि कौन सा बूथ मजबूत है और कौन सा कमजोर है।


बिहार मतदाता सूची के गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) का पहला चरण समाप्ति की ओर है। चुनाव आयोग का लक्ष्य है कि कोई योग्य मतदाता छूट न जाए और कोई अयोग्य मतदाता जुड़ न जाए। आयोग के अनुसार, एसआईआर में अब तक 98.01 प्रतिशत मतदाता कवर किए जा चुके हैं।


20 लाख मृतक मतदाता मिले हैं, जबकि 28 लाख स्थायी रूप से प्रवास कर चुके मतदाताओं के नाम पाए गए हैं। 7 लाख मतदाता एक से अधिक स्थानों पर पाए गए हैं, और 1 लाख मतदाताओं का कोई पता नहीं चल पा रहा है। अभी तक 15 लाख मतदाताओं के फॉर्म वापस नहीं मिले हैं। 7.17 करोड़ मतदाताओं के फॉर्म प्राप्त और डिजिटाइज्ड हो चुके हैं।


एसआईआर के पहले चरण में गलत तरीके से सम्मिलित सभी मतदाताओं की सूची और अब तक फॉर्म न भरने वालों की सूची को बिहार के सभी 12 प्रमुख राजनीतिक दलों के जिला अध्यक्षों द्वारा नामित 1.5 लाख बूथ लेवल एजेंट्स से 20 जुलाई को साझा किया जा चुका है।