बिहार विधानसभा चुनावों में घुसपैठियों का मुद्दा: मुख्य चुनाव आयुक्त की चुप्पी
मुख्य चुनाव आयुक्त की प्रेस कॉन्फ्रेंस
नई दिल्ली के विज्ञान भवन में बिहार विधानसभा चुनावों की तारीखों की घोषणा के लिए आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में मुख्य चुनाव आयुक्त ने एक महत्वपूर्ण बात साझा की। जब उनसे मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) के दौरान पाए गए कथित घुसपैठियों या विदेशी नागरिकों के बारे में सवाल किया गया, तो उन्होंने कहा कि उन्हें इस संबंध में कोई जानकारी नहीं दी गई है। उनके इस बयान का अर्थ यह था कि वे इस विषय पर अनभिज्ञ हैं।
यह सोचने वाली बात है कि जब चुनाव आयोग ने मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण का कार्य किया है और बूथ लेवल अधिकारियों (बीएलओ) ने घर-घर जाकर आंकड़े इकट्ठा किए हैं, तो यह जानकारी किसके पास गई होगी? यदि जानकारी चुनाव आयोग के पास ही है, तो मुख्य चुनाव आयुक्त ऐसा कैसे कह सकते हैं कि उन्हें कोई जानकारी नहीं दी गई?
घुसपैठियों की पहचान और चुनाव आयोग की चुप्पी
चुनाव आयोग के सूत्रों के अनुसार, एसआईआर के दौरान यह जानकारी सामने आई थी कि बूथ लेवल अधिकारियों को बड़ी संख्या में नेपाली, बांग्लादेशी और म्यांमार के नागरिक मिले हैं, जो मतदाता बने हुए हैं। बिहार की प्रमुख कम्युनिस्ट पार्टी सीपीआई माले के महासचिव दीपांकर भट्टाचार्य ने छह हजार संदिग्ध लोगों का उल्लेख किया है। इसके अलावा, मसौदा सूची में से 3.66 लाख लोगों के नाम हटा दिए गए हैं।
हालांकि, चुनाव आयोग घुसपैठियों के मुद्दे पर कोई स्पष्ट जानकारी नहीं दे रहा है, जबकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा के अन्य नेता इस मुद्दे को उठाने में लगे हुए हैं। बार-बार यह कहा जा रहा है कि बिहार को घुसपैठियों से मुक्त कराया जाएगा। क्या इसका मतलब यह है कि बिहार में बड़ी संख्या में घुसपैठिए हैं, लेकिन वे मतदाता नहीं हैं? यदि ऐसा है, तो फिर उनकी पहचान कैसे होगी और उन्हें कैसे निकाला जाएगा?