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बीजेपी के अंदरूनी संघर्ष के बीच उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ का इस्तीफा

उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के इस्तीफे ने बीजेपी के आंतरिक विवादों को उजागर किया है। विपक्षी दलों का आरोप है कि बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा की संसद में की गई टिप्पणी के कारण धनखड़ ने यह कदम उठाया। इस लेख में जानें कि कैसे आरएसएस और बीजेपी के बीच के तनाव ने इस इस्तीफे को जन्म दिया और इसके पीछे की राजनीतिक पृष्ठभूमि क्या है।
 

जगदीप धनखड़ के इस्तीफे की पृष्ठभूमि

नई दिल्ली। उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के इस्तीफे के पीछे बीजेपी के आंतरिक विवाद और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की भूमिका की चर्चा हो रही है। धनखड़ ने अपने इस्तीफे की घोषणा के बाद विपक्षी दलों ने आरोप लगाया है कि बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा की संसद में की गई टिप्पणी और दबाव के चलते उन्होंने यह कदम उठाया। एक सोशल मीडिया पोस्ट में उल्लेख किया गया कि नड्डा ने संसद में दोपहर 12 बजे कुछ ऐसा कहा, जिसके बाद धनखड़ ने रात 9 बजे इस्तीफा दे दिया।


सूत्रों के अनुसार, धनखड़ के इस्तीफे का कारण बीजेपी के विभिन्न धड़ों के बीच तनाव और सत्ता संतुलन की कोशिशें हो सकती हैं। आरएसएस, जो बीजेपी का वैचारिक आधार माना जाता है, अक्सर पार्टी के महत्वपूर्ण निर्णयों पर प्रभाव डालता है। कुछ विपक्षी नेताओं और विश्लेषकों ने धनखड़ के कार्यकाल के दौरान उनके बयानों, विशेषकर संविधान के अनुच्छेद 142 और न्यायपालिका पर टिप्पणियों को आरएसएस और बीजेपी के एजेंडे से जोड़ा है। उदाहरण के लिए, डीएमके ने धनखड़ के बयानों को अनैतिक बताते हुए कहा कि वे आरएसएस के लक्ष्यों को आगे बढ़ा रहे हैं। इसके अतिरिक्त, संविधान की प्रस्तावना में समाजवादी और धर्मनिरपेक्ष शब्दों की समीक्षा के लिए आरएसएस के आह्वान पर धनखड़ की टिप्पणी ने भी विवाद उत्पन्न किया।