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बीजेपी से निष्कासित हुए कृष्ण कुमार जानू: पार्टी के जाट नेताओं पर उठाए सवाल

बीजेपी ने अपने वरिष्ठ नेता कृष्ण कुमार जानू को पार्टी से निष्कासित कर दिया है, जो 40 वर्षों से राजनीति में सक्रिय थे। जानू ने पार्टी के जाट नेताओं पर सवाल उठाते हुए उनके व्यवहार की आलोचना की थी। उनका निष्कासन इस बात का संकेत है कि पार्टी में बोलने की स्वतंत्रता पर सवाल उठ रहे हैं। जानू का कहना है कि यदि जाट नेता अपनी बात नहीं रख सकते, तो उनकी पार्टी में क्या भूमिका है? जानू के इस विवादास्पद निष्कासन ने पार्टी के भीतर की राजनीति को एक नई दिशा दी है।
 

बीजेपी में बदलाव: कृष्ण कुमार जानू का निष्कासन

भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने अपने एक वरिष्ठ नेता कृष्ण कुमार जानू को पार्टी से बाहर कर दिया है। 55 वर्षीय जानू ने राजनीति में चार दशकों से अधिक का अनुभव हासिल किया है और विभिन्न भूमिकाओं में कार्य किया है। उन्होंने संघ के साथ काफी समय बिताया है और किसान, पत्रकार, जाट महासभा के नेता, एबीवीपी और वीएचपी के सदस्य, बीजेपी के उम्मीदवार और पार्टी प्रवक्ता के रूप में भी कार्य किया है। इसके बावजूद, उन्हें पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया है।


कृष्ण कुमार जानू 8 अगस्त को तब सुर्खियों में आए जब राजस्थान बीजेपी ने उन्हें छह साल के लिए निष्कासित कर दिया। उन्होंने जम्मू-कश्मीर के पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक और पूर्व उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के साथ पार्टी के व्यवहार पर सवाल उठाए थे, जिसके चलते उनका एक वीडियो भी वायरल हुआ। इस वीडियो में जानू पार्टी के जाट नेताओं की आलोचना करते हुए उनसे अपनी बात रखने की अपील करते नजर आए।


निष्कासन के बाद जानू ने कहा कि अगर बीजेपी में जाट नेता अपनी बात नहीं रख सकते, तो उनकी पार्टी में क्या भूमिका है? उन्होंने सवाल उठाया कि यदि वे बोल नहीं सकते, तो वे अपने समुदाय का क्या भला कर सकते हैं? जानू ने बीजेपी के जाट नेताओं से सवाल पूछे, चाहे वे सांसद हों या विधायक, लेकिन उनके निष्कासन का मतलब है कि पार्टी को गूंगे-बहरे लोगों की जरूरत है, न कि बोलने वालों की।