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बैंक ऑफ इंडिया घोटाला: निलंबित अधिकारी ने ₹16.10 करोड़ का किया गबन

बैंक ऑफ इंडिया के निलंबित अधिकारी हितेश सिंगला ने ₹16.10 करोड़ का घोटाला किया है, जिसमें उसने ग्राहकों के खातों से पैसे निकालकर शेयर बाजार, क्रिप्टोकरेंसी और ऑनलाइन जुए में गंवा दिए। हाल ही में उसकी गिरफ्तारी हुई है और वह न्यायिक हिरासत में है। जानें इस घोटाले की पूरी कहानी और अब क्या स्थिति है।
 

बैंक ऑफ इंडिया घोटाले का खुलासा

बैंक ऑफ इंडिया घोटाला: बैंक ऑफ इंडिया (BOI) के एक निलंबित कर्मचारी द्वारा किए गए ₹16.10 करोड़ के घोटाले ने देशभर में चर्चा का विषय बना दिया है। 32 वर्षीय हितेश सिंगला ने न केवल अपने ग्राहकों के खातों से पैसे निकाले, बल्कि शेयर बाजार के वायदा और विकल्प, क्रिप्टोकरेंसी और ऑनलाइन जुए में अधिकांश धन गंवा दिया। हाल ही में गुजरात में एक ट्रेन में छापेमारी के दौरान उसे गिरफ्तार किया गया और अब वह न्यायिक हिरासत में है।


घोटाले की प्रक्रिया का विवरण:


प्रवर्तन निदेशालय (ED) की रिपोर्ट के अनुसार, हितेश सिंगला ने मई 2023 से जुलाई 2025 के बीच बैंक की आंतरिक प्रणाली में हेरफेर कर ग्राहकों के फिक्स्ड डिपॉज़िट, पीपीएफ, वरिष्ठ नागरिक योजनाओं और निष्क्रिय खातों को निशाना बनाया। उसने उन ग्राहकों को चुना जो अक्सर अपने बैलेंस की जांच नहीं करते थे, जैसे वरिष्ठ नागरिक, नाबालिग या दिवंगत खाताधारक। निकाली गई राशि को छोटे-छोटे किस्तों में स्टेट बैंक ऑफ इंडिया में अपने निजी खातों में ट्रांसफर किया गया, जिससे बैंक को तुरंत संदेह नहीं हुआ और यह गड़बड़ी लंबे समय तक छिपी रही।


शेयर बाजार में भारी नुकसान:


जांच में यह सामने आया है कि सिंगला ने लगभग 90% राशि शेयर बाजार में फ्यूचर्स और ऑप्शन्स ट्रेडिंग, क्रिप्टोकरेंसी और ऑनलाइन सट्टेबाज़ी साइट्स पर खर्च कर दी। प्रारंभिक लाभ ने उसे लालच में डाल दिया, लेकिन जब घाटा बढ़ने लगा, तो उसने बड़े दांव लगाकर नुकसान की भरपाई करने की कोशिश की। एक अधिकारी के अनुसार, 'यह नशे जैसी लत का मामला है। जीत की लालसा और हार की भरपाई की कोशिश ने उसे बर्बाद कर दिया।'


अब क्या स्थिति है?


जांच एजेंसियों का कहना है कि घोटाले से निकाली गई राशि का अधिकांश हिस्सा पूरी तरह से गंवा दिया गया है। अकेले शेयर बाजार में उसने ₹11.5 करोड़ से अधिक खो दिए। बाकी धन क्रिप्टो और ऑनलाइन गेमिंग-बेटिंग साइट्स पर डूब गया। यहां तक कि ₹1.5 करोड़, जिसे उसने मुंबई में एक मित्र के पास अस्थायी रूप से रखा था, बाद में वापस लेकर भी जुए और ट्रेडिंग में गंवा दिया गया।


ED ने छापेमारी में पाया कि उसके पास कोई ठोस संपत्ति या निवेश नहीं है जिससे रकम की वसूली हो सके। वर्तमान में सीबीआई और ED समानांतर जांच कर रही हैं, लेकिन प्रारंभिक संकेत बताते हैं कि बैंक और खाताधारकों को भारी नुकसान की भरपाई करना मुश्किल होगा।