ब्राजील और अमेरिका के बीच व्यापारिक तनाव बढ़ा
ब्राजील अमेरिका व्यापार युद्ध
ब्राजील अमेरिका व्यापार युद्ध: अमेरिका और ब्राजील के बीच व्यापारिक तनाव अब अपने चरम पर पहुँच चुका है। ब्राजील के राष्ट्रपति लुइज इनासियो लूला डा सिल्वा ने स्पष्ट कर दिया है कि वे अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से बातचीत करने का कोई इरादा नहीं रखते। टैरिफ युद्ध के बीच, उन्होंने कहा कि वे अब भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग से संपर्क करेंगे।
हाल ही में, मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, ट्रंप ने कहा था कि लूला कभी भी उनसे फोन पर बात कर सकते हैं ताकि व्यापार विवाद का समाधान किया जा सके। ब्राजील के वित्त मंत्री फर्नांडो हद्दाद ने इस बयान का स्वागत किया था। लेकिन अब लूला ने स्पष्ट रूप से कहा है कि ट्रंप से बात करने का कोई इरादा नहीं है, क्योंकि ट्रंप बातचीत में रुचि नहीं रखते।
ब्राजील के उत्पादों पर आयात शुल्क
ब्राजील के उत्पादों पर आयात शुल्क
हाल ही में अमेरिका ने ब्राजील के उत्पादों पर 50% तक आयात शुल्क लगा दिया है, जिससे दोनों देशों के बीच संबंधों में तनाव बढ़ गया है। लूला ने इस निर्णय को ब्राजील-अमेरिका द्विपक्षीय संबंधों का सबसे दुखद दिन बताया। उन्होंने कहा कि ब्राजील इस एकतरफा निर्णय के खिलाफ WTO जैसे अंतरराष्ट्रीय मंचों पर अपनी लड़ाई लड़ेगा।
शी जिनपिंग और नरेंद्र मोदी से संपर्क
शी जिनपिंग और नरेंद्र मोदी से संपर्क
लूला ने आगे कहा कि वे शी जिनपिंग और नरेंद्र मोदी से संपर्क करेंगे क्योंकि वैश्विक व्यापार में सहयोग की आवश्यकता है। हालांकि, उन्होंने रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से फिलहाल बात न करने का निर्णय लिया है, क्योंकि पुतिन यात्रा नहीं कर सकते।
BRICS देशों को चेतावनी
BRICS देशों को चेतावनी
इस बीच, अमेरिका ने BRICS देशों को चेतावनी दी है कि यदि उनकी नीतियां अमेरिकी हितों के खिलाफ जाती हैं, तो उन पर 10% अतिरिक्त टैरिफ लगाया जाएगा। ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका मिलकर अब अमेरिका की नीति के लिए चुनौती बनते जा रहे हैं।
संविधान के मुताबिक करेंगे काम
संविधान के मुताबिक करेंगे काम
ब्राजील के पूर्व राष्ट्रपति जायर बोलसोनारो को हाउस अरेस्ट में रखने के सुप्रीम कोर्ट के फैसले ने अमेरिका को और अधिक नाराज कर दिया है। अमेरिकी स्टेट डिपार्टमेंट ने न्यायमूर्ति अलेक्जेंडर डी मोराइस की आलोचना करते हुए उन पर मैग्निट्स्की एक्ट के तहत प्रतिबंध लगा दिए हैं। हालांकि, जस्टिस डी मोराइस ने कहा है कि वे अमेरिका के दबाव में नहीं आएंगे और संविधान के अनुसार अपना कार्य जारी रखेंगे।