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भाजपा का कांग्रेस पर हमला: 26/11 के बाद सुरक्षा से समझौता करने का आरोप

भाजपा ने कांग्रेस पर आरोप लगाया है कि उसने 26/11 के आतंकवादी हमले के बाद देश की सुरक्षा से समझौता किया। प्रदीप भंडारी ने इस संदर्भ में कई उदाहरण दिए और पूर्व विदेश सचिव शिवशंकर मेनन की किताब का हवाला दिया। उन्होंने कहा कि प्रणब मुखर्जी ने जवाबी कार्रवाई का समर्थन किया था, लेकिन सोनिया और राहुल गांधी ने कदम नहीं उठाए। इस लेख में जानें भाजपा के आरोपों और कांग्रेस के इतिहास के बारे में।
 

भाजपा का आरोप

नई दिल्ली: भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने कांग्रेस पार्टी पर तीखा हमला करते हुए आरोप लगाया है कि उसने देश की सुरक्षा के साथ कई बार समझौता किया है, जिसमें 26/11 का आतंकवादी हमला भी शामिल है। उस समय के विदेश मंत्री प्रणब मुखर्जी ने कड़ी कार्रवाई की मांग की थी, लेकिन सोनिया गांधी और राहुल गांधी ने इसे मंजूरी नहीं दी।


प्रदीप भंडारी का बयान

भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता प्रदीप भंडारी ने एक सोशल मीडिया पोस्ट में कहा कि 26/11 के बाद कांग्रेस के पास पाकिस्तान के मुरीदके में लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) के मुख्यालय पर हमला करने का अवसर था, लेकिन सोनिया और राहुल गांधी के विरोध के कारण ऐसा नहीं किया गया।


पूर्व विदेश सचिव की किताब का हवाला

भंडारी ने अपने दावे को मजबूत करने के लिए पूर्व विदेश सचिव शिवशंकर मेनन की किताब ‘चॉइसेस: इनसाइड द मेकिंग ऑफ इंडियाज फॉरेन पॉलिसी’ के कुछ अंश साझा किए। मेनन ने लिखा है कि हमले के बाद कई अनौपचारिक चर्चाएं हुईं, जिसमें जवाबी कार्रवाई पर विचार किया गया। उस समय के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार एम.के. नारायणन ने राजनीतिक नेतृत्व के साथ मिलकर सैन्य विकल्पों पर चर्चा की।


प्रणब मुखर्जी का समर्थन

मेनन ने अपनी किताब में उल्लेख किया है कि प्रणब मुखर्जी भी जवाबी कार्रवाई के पक्ष में थे। उन्होंने कहा, “मैंने कहा कि हमें जवाबी कार्रवाई करनी चाहिए ताकि अंतरराष्ट्रीय भरोसा बना रहे।” मुखर्जी ने कहा कि सभी विकल्प खुले हैं।


भंडारी का निष्कर्ष

भंडारी ने इसे देश के साथ विश्वासघात बताते हुए लिखा, “प्रणब मुखर्जी के आग्रह के बावजूद, सोनिया और राहुल गांधी की सरकार ने कोई कदम नहीं उठाया। यह देशभक्ति के खिलाफ एक बड़ा धोखा है।”


कांग्रेस का इतिहास

भंडारी ने कांग्रेस पार्टी के इतिहास का जिक्र करते हुए कहा कि नेहरू से लेकर राहुल गांधी तक, गांधी परिवार का रिकॉर्ड बार-बार भारत की संप्रभुता से समझौता करने का रहा है। उन्होंने कहा, “गांधी-वाड्रा परिवार की विरासत भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा के साथ लगातार समझौता करने की रही है।”


भाजपा का दृष्टिकोण

भंडारी ने कहा कि इंदिरा गांधी ने 1974 में भारत के पहले परमाणु परीक्षण के बाद पाकिस्तान के साथ परमाणु तकनीक साझा करने की बात की थी। उन्होंने सवाल उठाया कि आतंकवाद को बढ़ावा देने वाले पड़ोसी को मजबूत क्यों किया जाए।


राजीव गांधी और नेहरू का संदर्भ

भंडारी ने यह भी कहा कि राजीव गांधी उस समय “परमाणु निरस्त्रीकरण” की बात कर रहे थे, जबकि चीन पहले से ही परमाणु शक्ति बन चुका था। उन्होंने यह भी बताया कि जवाहरलाल नेहरू ने भारत के परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह (एनएसजी) में शामिल होने को रोका, जिससे भारत को आवश्यक परमाणु सामग्री नहीं मिल पाई।