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भाजपा की जाति आधारित राजनीति: ओबीसी आरक्षण और नए नेतृत्व की दिशा

भारतीय जनता पार्टी ने हाल के दिनों में जाति आधारित राजनीति की ओर ध्यान केंद्रित किया है, खासकर ओबीसी समुदाय के मुद्दों पर। अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण के बाद, भाजपा ने महसूस किया कि अब हिंदू धर्म से जुड़े मुद्दों पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया जा सकता। मध्य प्रदेश में ओबीसी आरक्षण को बढ़ाने का निर्णय और राज्यों में नेतृत्व परिवर्तन इस दिशा में महत्वपूर्ण कदम हैं। जानें कैसे भाजपा अपनी रणनीति को बदल रही है और आगामी चुनावों में इसका क्या प्रभाव पड़ेगा।
 

भाजपा की नई राजनीतिक दिशा

भारतीय जनता पार्टी ने अब पिछड़ी जातियों की राजनीति की ओर ध्यान केंद्रित किया है। अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण के बाद, भाजपा को लगता है कि अब हिंदू धर्म से जुड़े मुद्दों पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया जा सकता। इसके बजाय, जाति आधारित राजनीति को प्राथमिकता दी जा रही है, जिसके तहत ओबीसी समुदाय के मुद्दों को उठाया जा रहा है। भाजपा ने यह महसूस किया है कि केवल नरेंद्र मोदी के नाम पर काम नहीं चलेगा, इसलिए उसने विभिन्न राज्यों में ओबीसी नेताओं को आगे लाना शुरू किया है।


मध्य प्रदेश में ओबीसी आरक्षण को 14% से बढ़ाकर 27% करने का निर्णय भाजपा की इस रणनीति का एक महत्वपूर्ण संकेत है। मोहन यादव की सरकार ने इस फैसले का सुप्रीम कोर्ट में बचाव किया है। यदि यह निर्णय सफल होता है, तो अन्य राज्यों में भी ओबीसी आरक्षण बढ़ाने की आवश्यकता महसूस की जाएगी। इसके बाद, भाजपा निजी क्षेत्र में भी आरक्षण लागू करने की दिशा में कदम उठा सकती है।


राज्यों में नेतृत्व परिवर्तन

भाजपा ने हाल ही में दो राज्यों में संगठनात्मक बदलाव किए हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह के गृह राज्य गुजरात में, सीआर पाटिल की जगह जगदीश विश्वकर्मा को प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया है। यह पहली बार है जब भाजपा ने ओबीसी समुदाय से अध्यक्ष नियुक्त किया है। कांग्रेस ने भी अमित चावड़ा को जिम्मेदारी दी है, जो पिछड़ी जाति से आते हैं। इस प्रकार, भाजपा अब पिछड़ी जातियों की राजनीति में उलझी हुई है।


झारखंड में भी भाजपा ने रविंद्र राय की जगह आदित्य साहू को कार्यकारी अध्यक्ष नियुक्त किया है। रविंद्र राय अगड़ी जाति से थे और अब उनकी जगह आदिवासी और पिछड़ी जातियों का समीकरण बनाया गया है। बिहार में, भाजपा की पूरी नेतृत्व टीम पिछड़ी जातियों से है, जिसमें उप मुख्यमंत्री सम्राट चौधरी और प्रदेश अध्यक्ष दिलीप जायसवाल शामिल हैं। चुनाव में भाजपा और जदयू गैर यादव पिछड़े चेहरों को आगे लाकर मुकाबला करेंगे।