भाजपा की दोहरी राजनीति: क्रिकेट और आतंकवाद के बीच का विरोधाभास
भाजपा और मोदी की राजनीति के उदाहरण
भारतीय जनता पार्टी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कई बार विरोधाभासी राजनीतिक निर्णय लिए हैं। कई ऐसे उदाहरण हैं, जब प्रधानमंत्री और उनकी पार्टी ने एक बात कही और उसके विपरीत कार्य किया। जैसे कि उन्होंने कहा था कि अजित पवार, जो भ्रष्टाचार में लिप्त हैं, जेल जाएंगे, लेकिन उन्हें अपने गठबंधन में शामिल कर महाराष्ट्र का उप मुख्यमंत्री बना दिया। इसी तरह, मुफ्ती मोहम्मद सईद और उनकी पार्टी को आतंकवाद से जोड़ा गया, लेकिन चुनाव के बाद उन्हें समर्थन देकर मुख्यमंत्री बना दिया गया। उन्होंने कहा था, 'बहुत हुई पेट्रोल की मार, अबकी बार मोदी सरकार', और सरकार बनने के बाद पेट्रोल की कीमतें दोगुनी कर दी गईं।
जम्मू कश्मीर में आतंकवाद और क्रिकेट का खेल
हाल ही में जम्मू कश्मीर के पहलगाम में आतंकवादियों द्वारा 26 भारतीय नागरिकों की हत्या के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच क्रिकेट मैच खेलना एक ऐसा मुद्दा है, जिसे भाजपा की दोहरी राजनीति के रूप में नहीं भुलाया जा सकता। लोग अजित पवार को उप मुख्यमंत्री बनाने को एक रणनीतिक निर्णय मान रहे हैं, लेकिन आतंकवाद के मुद्दे पर पाकिस्तान के साथ क्रिकेट खेलना न तो राजनीतिक रूप से सही है और न ही सामरिक दृष्टि से। यह पूरी तरह से भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) के पैसे कमाने का खेल है, जिसकी जिम्मेदारी केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के बेटे जय शाह के हाथ में है।
हिंदुत्व और राष्ट्रवाद का समझौता
भारत का पाकिस्तान के साथ क्रिकेट खेलना भाजपा और नरेंद्र मोदी के बुनियादी सिद्धांतों से समझौता करने का मामला है। पहलगाम की घटना हिंदुत्व को चुनौती देती है, जबकि ऑपरेशन सिंदूर राष्ट्रवाद का प्रतीक है। पहलगाम के बाद भारत ने पाकिस्तान के साथ सिंधु जल संधि को स्थगित किया था। अब सवाल यह उठता है कि क्या खून और क्रिकेट एक साथ चल सकते हैं?
क्रिकेट और आतंकवाद का संबंध
यह कहना गलत है कि एशियाई क्रिकेट परिषद और अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद के टूर्नामेंट में देशों की भागीदारी की मजबूरी होती है। पाकिस्तान ने खुद एशियाई कप का बहिष्कार किया था। भारत ने 1986 में एशिया कप का बहिष्कार किया था। इसलिए अगर भाजपा के नेता यह तर्क देते हैं, तो वे लोगों को गुमराह कर रहे हैं। भारत पाकिस्तान के साथ क्रिकेट खेल रहा है क्योंकि इसमें बड़े पैमाने पर पैसे दांव पर लगे होते हैं।
भाजपा का सामना
टी20 एशिया कप में भारत और पाकिस्तान के बीच एक मुकाबला हो चुका है। यह संयोग है कि हर बार दोनों देशों को एक ग्रुप में रखा जाता है। जैसे-जैसे ये मुकाबले होते हैं, भाजपा की दोहरी राजनीति उजागर होती है। भाजपा समर्थकों की भावनाएं भी आहत हुई हैं, क्योंकि उन्होंने क्रिकेट में पाकिस्तान के बहिष्कार का समर्थन किया था। यह उनके लिए एक मनोवैज्ञानिक सदमा है।
भाजपा का भविष्य
यह मुद्दा भाजपा का पीछा नहीं छोड़ेगा। यह हिंदुओं के मनोभावों को गहराई से प्रभावित कर सकता है। अब यह कोई मायने नहीं रखता कि टीम ने मैच जीतने के बाद पाकिस्तानी खिलाड़ियों से हाथ नहीं मिलाया। यह एक बड़ी भूल पर पर्दा डालने की कोशिश है।