भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष चुनाव में देरी: क्या हैं कारण?
भाजपा का राष्ट्रीय अध्यक्ष चुनाव: स्थिति और चुनौतियाँ
भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव एक महत्वपूर्ण मुद्दा बनता जा रहा है। यह प्रश्न लंबे समय से उठाया जा रहा है, लेकिन हालिया जानकारी के अनुसार, पार्टी में चुनाव कराने के लिए गठित समिति के अध्यक्ष लक्ष्मण ने बताया है कि यह चुनाव 15 अगस्त के बाद होगा। उन्होंने यह भी कहा कि राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव के लिए देशभर में 10 लाख बूथ प्रभारी नियुक्त किए जाएंगे, जिनमें से 7.5 लाख की नियुक्ति पहले ही हो चुकी है। पहले यह कहा गया था कि आधे राज्यों में चुनाव के बाद राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव होगा, लेकिन अब यह कहा जा रहा है कि और 2.5 लाख बूथ प्रभारी नियुक्त होने के बाद ही चुनाव होगा।
सूत्रों के अनुसार, अभी 10 राज्यों में प्रदेश अध्यक्षों के चुनाव की प्रक्रिया चल रही है, जिसमें उत्तर प्रदेश और गुजरात शामिल हैं। ये दोनों राज्य भाजपा के लिए महत्वपूर्ण हैं, क्योंकि गुजरात में भाजपा लगातार छह बार विधानसभा चुनाव जीत चुकी है और उत्तर प्रदेश में भी दो बार पूर्ण बहुमत हासिल किया है। हालांकि, इन राज्यों के प्रदेश अध्यक्षों का चुनाव अभी तक नहीं हो पाया है।
हाल ही में यह कहा गया था कि आधे राज्यों में चुनाव हो जाने के बाद जुलाई में राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव होगा, लेकिन अब इसकी संभावना खत्म होती दिखाई दे रही है। संसद का मानसून सत्र 21 जुलाई से शुरू होगा और यह 21 अगस्त तक चलेगा। इसके बाद ही राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव होगा। इस बीच, केंद्रीय मंत्रिमंडल में फेरबदल की संभावनाएँ भी हैं।
अब सवाल यह उठता है कि भाजपा राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव क्यों नहीं कर पा रही है? क्या जेपी नड्डा के साथ मोदी और शाह इतने सहज हो गए हैं कि उन्हें बदलने का मन नहीं है, या फिर कोई ऐसा नेता नहीं मिल रहा है जो नड्डा की जगह ले सके? ध्यान देने वाली बात यह है कि नड्डा को अध्यक्ष बने हुए साढ़े पांच साल हो चुके हैं। 2014 के लोकसभा चुनाव के बाद राजनाथ सिंह केंद्रीय गृह मंत्री बने थे और उनकी जगह अमित शाह को अध्यक्ष बनाया गया था। 2019 के चुनावों के बाद भी शाह अध्यक्ष बने रहे। लेकिन नड्डा का कार्यकाल जनवरी 2023 में समाप्त हुआ और उन्हें फिर से कार्यकाल नहीं दिया गया, बल्कि उनका कार्यकाल बढ़ाया गया है।