×

भारत-अमेरिका संबंधों में नई दिशा: सर्जियो गोर और एस. जयशंकर की महत्वपूर्ण मुलाकात

भारत और अमेरिका के बीच संबंधों में नई दिशा की ओर बढ़ते हुए, सर्जियो गोर और विदेश मंत्री एस. जयशंकर के बीच एक महत्वपूर्ण मुलाकात हुई। इस बातचीत में दोनों नेताओं ने द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने और वैश्विक रणनीतिक साझेदारी पर चर्चा की। गोर ने ट्रंप- मोदी संबंधों का भी उल्लेख किया, जबकि हालिया चुनौतियों का सामना करने की बात भी की गई। जानिए इस मुलाकात के प्रमुख बिंदुओं के बारे में।
 

कूटनीतिक बातचीत का महत्व


भारत और अमेरिका के बीच संबंधों में उतार-चढ़ाव के बीच एक महत्वपूर्ण कूटनीतिक मुलाकात हुई। शनिवार को अमेरिका के नए राजदूत सर्जियो गोर ने नई दिल्ली में विदेश मंत्री एस. जयशंकर से मुलाकात की। इस बातचीत में दोनों नेताओं ने भारत-अमेरिका संबंधों और इसके वैश्विक महत्व पर गहन चर्चा की। जयशंकर ने 'एक्स' पर साझा करते हुए कहा कि गोर से मुलाकात सुखद रही और उन्हें नई जिम्मेदारियों के लिए शुभकामनाएं दीं।


विदेश सचिव की महत्वपूर्ण भेंट

विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने भी सर्जियो गोर से एक अलग मुलाकात की। इस दौरान भारत और अमेरिका के बीच की व्यापक वैश्विक रणनीतिक साझेदारी और साझा प्राथमिकताओं पर चर्चा की गई। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने बताया कि इस बैठक में द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने पर जोर दिया गया और विदेश सचिव ने गोर को उनकी नई भूमिका के लिए शुभकामनाएं दीं।


पहली मुलाकात न्यूयॉर्क में

इससे पहले, 24 सितंबर को न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र महासभा के सत्र के दौरान जयशंकर और गोर की पहली मुलाकात हुई थी। उस समय भी दोनों नेताओं ने भारत-अमेरिका रणनीतिक साझेदारी को और मजबूत करने के लिए चर्चा की थी। अमेरिकी विदेश विभाग ने तब कहा था कि गोर भारत-अमेरिका संबंधों की सफलता को आगे बढ़ाने के लिए तत्पर हैं।


ट्रंप- मोदी संबंधों का महत्व

गोर ने अपनी सीनेट पुष्टिकरण सुनवाई के दौरान डोनाल्ड ट्रंप और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बीच की करीबी दोस्ती का उल्लेख किया था। उन्होंने कहा कि यह संबंध दोनों देशों के बीच सहयोग को और मजबूत बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।


हालिया चुनौतियों का सामना

हालांकि, ट्रंप के दूसरे कार्यकाल के दौरान रिश्तों में कुछ तनाव भी उत्पन्न हुए। अमेरिका ने भारत पर 50 प्रतिशत तक टैरिफ लगाया, जिससे व्यापार प्रभावित हुआ। इसके अलावा, रूस से तेल आयात को लेकर भी ट्रंप प्रशासन ने असहमति जताई थी। भारत ने स्पष्ट किया था कि वह अपने राष्ट्रहित को प्राथमिकता देगा और ऊर्जा सुरक्षा के लिए स्वतंत्र निर्णय लेने में सक्षम रहेगा।