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भारत और जापान के बीच द्विपक्षीय वार्ता में सहयोग के नए आयामों पर चर्चा

विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने जापान के उप विदेश मंत्री ताकेहिरो फुनाकोशी के साथ नई दिल्ली में द्विपक्षीय वार्ता की। इस बैठक में भारत-जापान के संबंधों की समीक्षा की गई और सहयोग के नए क्षेत्रों पर चर्चा की गई। दोनों देशों के बीच की विशेष रणनीतिक साझेदारी और वैश्विक मुद्दों पर विचारों का आदान-प्रदान किया गया। जानें इस वार्ता के प्रमुख बिंदुओं और भविष्य की संभावनाओं के बारे में।
 

भारत-जापान द्विपक्षीय संबंधों की समीक्षा

विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने सोमवार को नई दिल्ली में जापान के उप विदेश मंत्री ताकेहिरो फुनाकोशी के साथ द्विपक्षीय वार्ता की। इस बैठक में, दोनों नेताओं ने हिंद-प्रशांत क्षेत्र में शांति, समृद्धि और स्थिरता के लिए भारत-जापान की विशेष रणनीतिक और वैश्विक साझेदारी के महत्व को रेखांकित किया। विदेश मंत्रालय के अनुसार, उन्होंने राजनीतिक संबंधों, रक्षा, सुरक्षा, आर्थिक सुरक्षा, व्यापार, निवेश, बुनियादी ढाँचे के सहयोग, प्रौद्योगिकी और सांस्कृतिक आदान-प्रदान जैसे विभिन्न पहलुओं पर विचारों का आदान-प्रदान किया।


इसके अलावा, उन्होंने महत्वपूर्ण वैश्विक और क्षेत्रीय मुद्दों पर भी चर्चा की। यह वार्ता भारत और जापान के बीच सहयोग के नए क्षेत्रों की पहचान करने और द्विपक्षीय संबंधों को और मजबूत करने में सहायक रही। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने X पर लिखा कि विदेश सचिव @VikramMisri ने नई दिल्ली में जापान के उप विदेश मंत्री से मुलाकात की। उन्होंने द्विपक्षीय संबंधों की समीक्षा की और विस्तारित सहयोग की संभावनाओं पर चर्चा की।


भारत और जापान के बीच एक 'विशेष रणनीतिक और वैश्विक साझेदारी' है। विदेश मंत्रालय ने बताया कि दोनों देशों के बीच मित्रता का एक लंबा इतिहास है, जो आध्यात्मिक संबंधों और मजबूत सांस्कृतिक बंधनों पर आधारित है। भारत-जापान संबंधों को 2000 में 'वैश्विक साझेदारी', 2006 में 'रणनीतिक और वैश्विक साझेदारी' और 2014 में 'विशेष रणनीतिक और वैश्विक साझेदारी' के रूप में उन्नत किया गया। 2006 से, दोनों देशों के बीच नियमित वार्षिक शिखर सम्मेलन होते रहे हैं, जिसमें अंतिम शिखर सम्मेलन मार्च 2022 में हुआ था। वर्ष 2022 में, प्रधानमंत्री किशिदा ने भारत में 14वें वार्षिक शिखर सम्मेलन के लिए यात्रा की थी। दोनों पक्षों ने कोविड के बाद एक शांतिपूर्ण, स्थिर और समृद्ध विश्व के लिए साझेदारी पर सहमति व्यक्त की।