भारत और रूस के बीच महत्वपूर्ण सैन्य समझौते को मिली मंजूरी
रूस की स्टेट डूमा ने भारत के साथ एक महत्वपूर्ण सैन्य समझौते को मंजूरी दी है, जो 4 दिसंबर को राष्ट्रपति पुतिन की भारत यात्रा से पहले आया है। यह समझौता दोनों देशों के बीच रक्षा सहयोग को नई गति देने का कार्य करेगा। RELOS समझौते के तहत, दोनों देशों की सेनाएं एक-दूसरे के सैन्य ठिकानों और एयरस्पेस का उपयोग कर सकेंगी। पुतिन की यात्रा के दौरान व्यापार, ऊर्जा और सामरिक भागीदारी पर चर्चा होने की उम्मीद है।
Dec 3, 2025, 19:56 IST
रूस की स्टेट डूमा ने सैन्य समझौते को दी हरी झंडी
रूस की निचली संसद, स्टेट डूमा, ने 2 दिसंबर को भारत के साथ एक महत्वपूर्ण सैन्य समझौते को स्वीकृति प्रदान की है। यह निर्णय ऐसे समय में लिया गया है जब राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन 4 दिसंबर से भारत की दो दिवसीय यात्रा पर आ रहे हैं। इस समझौते को दोनों देशों के बीच रक्षा सहयोग को नई दिशा देने वाला माना जा रहा है।
RELOS समझौते का महत्व
भारत और रूस ने 18 फरवरी को रेसिप्रोकल एक्सचेंज ऑफ लॉजिस्टिक्स सपोर्ट (RELOS) समझौते पर हस्ताक्षर किए थे, जिसे हाल ही में रूसी प्रधानमंत्री मिखाइल मिशुस्तिन ने डूमा में अनुमोदन के लिए प्रस्तुत किया था। स्टेट डूमा के स्पीकर व्याचेस्लाव वोलोडिन ने कहा कि भारत के साथ रूस के संबंध व्यापक और रणनीतिक हैं, और यह मंजूरी आपसी सहयोग को और मजबूत करेगी।
लॉजिस्टिक सपोर्ट का आदान-प्रदान
RELOS समझौता दोनों देशों की थल, नौसेना और वायुसेना के बीच लॉजिस्टिक सपोर्ट के आदान-प्रदान को औपचारिक रूप देता है। इसके तहत, दोनों देश एक-दूसरे के सैन्य ठिकानों, बंदरगाहों और एयरस्पेस का उपयोग कर सकेंगे। यह साझा सैन्य अभ्यासों, प्रशिक्षण, मानवीय सहायता, प्राकृतिक आपदाओं और अन्य सहमति-आधारित परिस्थितियों में सहायक होगा।
रक्षा सहयोग को मिलेगी मजबूती
रूसी कैबिनेट द्वारा जारी एक नोट के अनुसार, यह समझौता दोनों देशों के युद्धपोतों को एक-दूसरे के बंदरगाहों में प्रवेश की अनुमति देता है और हवाई मार्गों के पारस्परिक उपयोग को भी सरल बनाता है। इससे रक्षा सहयोग में मजबूती आएगी और ऑपरेशनल समन्वय पहले से अधिक सहज हो सकेगा।
पुतिन की भारत यात्रा का महत्व
पुतिन की आगामी भारत यात्रा भी विशेष महत्व रखती है। वे 4 से 5 दिसंबर के बीच राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात करेंगे। चर्चा का केंद्र व्यापार, ऊर्जा, रक्षा सहयोग और सामरिक भागीदारी जैसे प्रमुख क्षेत्रों पर होगा। यात्रा के दौरान वे 23वें भारत-रूस वार्षिक शिखर सम्मेलन में भी भाग लेंगे।
पुतिन की पिछली यात्रा
यह याद दिलाना महत्वपूर्ण है कि पुतिन आखिरी बार 2021 में भारत आए थे। इसके बाद, दोनों नेता इस वर्ष सितंबर में तियानजिन, चीन में SCO सम्मेलन के दौरान मिले थे। वर्तमान वैश्विक परिस्थितियों और बदलते भू-राजनीतिक समीकरणों के बीच, यह यात्रा दोनों देशों के रिश्तों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण मानी जा रही है।