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भारत की राजनीतिक स्थिति: 2025 में संभावित बदलाव और भविष्य की चुनौतियाँ

2025 में भारत की राजनीतिक स्थिति पर चर्चा करते हुए, यह लेख नरेंद्र मोदी और मोहन भागवत के भविष्य के बारे में अटकलें प्रस्तुत करता है। क्या वे अपने पदों पर बने रहेंगे या कोई बड़ा बदलाव होगा? जानें इस लेख में।
 

2025 का राजनीतिक परिदृश्य

15 अगस्त 2025 का समय कुछ विशेष है! सोशल मीडिया पर भारत की भीड़ और गतिविधियों की हलचल इस तरह है जैसे कोई बड़ा परिवर्तन होने वाला हो। विभिन्न चर्चाएँ और अटकलें चल रही हैं! सोचिए, जगदीप धनखड़ पर भी चर्चा हो रही है! नरेंद्र मोदी के 75वें जन्मदिन को लेकर भी बातें हो रही हैं, साथ ही मोहन भागवत के रिटायरमेंट की भी चर्चा है। वास्तव में, पिछले ग्यारह वर्षों में नरेंद्र मोदी का सबसे बड़ा योगदान यह है कि उन्होंने भारत को एक ऐसा मंच दिया है, जहां सत्ता का केंद्र बना हुआ है। इस स्थिति में, भीड़ का कार्य है कि वे सक्रिय रहें और अपने अधिकारों के लिए संघर्ष करें।


सोशल मीडिया पर जगदीप धनखड़ को शूरवीर के रूप में प्रस्तुत किया जा रहा है! कांग्रेस उन्हें महान बता रही है, जबकि सोशल मीडिया में यह चर्चा है कि धनखड़ ने अपनी नाराजगी व्यक्त की, जिसे नरेंद्र मोदी ने सहन नहीं किया। इसके अलावा, धनखड़ के नाम पर राजनीतिक उथल-पुथल की भी बातें हो रही हैं!


इसी तरह, सितंबर में मोहन भागवत के रिटायर होने की चर्चा है। यदि ऐसा होता है, तो नरेंद्र मोदी भी प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा दे सकते हैं। अगर वे ऐसा नहीं करते, तो नितिन गडकरी नैतिक आधार पर इस्तीफा देंगे। इस स्थिति में नरेंद्र मोदी के लिए पद पर बने रहना कठिन होगा! या फिर यह भी चर्चा है कि योगी आदित्यनाथ को केंद्रीय कैबिनेट में शामिल किया जा रहा है।


हालांकि, इन सभी बातों में कोई ठोस आधार नहीं है! यह सब सोशल मीडिया और राजनीतिक अटकलों का हिस्सा है। सितंबर में कोई बड़ा बदलाव नहीं आने वाला है। मोहन भागवत विजयादशमी पर संघ के सौ साल के उत्सव का नेतृत्व करेंगे। और 2026 तक जगदीप धनखड़ का कोई राजनीतिक भविष्य नहीं है।


जहां तक नरेंद्र मोदी का सवाल है, वे भाजपा को अगले लोकसभा चुनाव में लड़वाएंगे। इसके बाद वे फिर से शपथ लेंगे। यह भी ध्यान रखें कि योगी आदित्यनाथ 2027 के उत्तर प्रदेश चुनाव में वापसी करेंगे। संघ और मोहन भागवत अपने किसी उपयुक्त चेहरे को भाजपा का अध्यक्ष नहीं बना सकते। जो भी होगा, वह नरेंद्र मोदी की पसंद पर निर्भर करेगा।


सोचिए, पिछले ग्यारह वर्षों में 140 करोड़ लोगों का सबसे बड़ा लाभार्थी कौन है? मेरा मानना है कि पहले स्थान पर चीन है। इसके बाद पाकिस्तान और अन्य देश भी लाभान्वित हुए हैं। मोदी सरकार ने चीन को यह स्पष्ट कर दिया है कि वह जब चाहे, उत्तर-पूर्व भारत पर नियंत्रण कर सकता है। यह स्थिति दुनिया के सामने भारत की सामरिक और आर्थिक ताकत को उजागर करती है।


इसलिए, कुछ भी बड़ा होने वाला नहीं है। दो लोगों ने भारत की जनता को कुछ आर्थिक लाभ देकर न केवल उन्हें गुलाम बनाया है, बल्कि उनकी बुद्धि को भी हरण कर लिया है। यही कारण है कि दुनिया ऐसे प्रधानमंत्री को सम्मानित कर रही है, जो अपने स्वार्थ के लिए व्यापारिक सौदे कर रहे हैं। यही मोदी सरकार की सबसे बड़ी उपलब्धि है!