×

भारत के नए उपराष्ट्रपति के चुनाव की प्रक्रिया और संविधानिक प्रावधान

भारत के उपराष्ट्रपति पद के लिए चुनाव की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। पूर्व उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के इस्तीफे के बाद, एनडीए ने सीपी राधाकृष्णन को अपना उम्मीदवार घोषित किया है। जानें संविधान के अनुसार नए उपराष्ट्रपति को मिलने वाले कार्यकाल और चुनाव प्रक्रिया के बारे में। क्या विपक्ष किसे मैदान में उतारेगा? इस लेख में जानें सभी महत्वपूर्ण जानकारी।
 

भारत के उपराष्ट्रपति का पद: चुनाव की आवश्यकता

भारत के पूर्व उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के इस्तीफे के बाद उपराष्ट्रपति का पद रिक्त है। संविधान के अनुसार, यह पद 6 महीने से अधिक समय तक खाली नहीं रह सकता। इस कारण चुनाव आयोग ने 9 सितंबर को उपराष्ट्रपति के चुनाव की घोषणा की है। एनडीए ने 17 अगस्त को अपने उम्मीदवार की घोषणा कर दी है।


उपराष्ट्रपति पद के लिए एनडीए का उम्मीदवार

एनडीए ने सीपी राधाकृष्णन को उपराष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाया है। अब यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि विपक्ष किस उम्मीदवार को मैदान में उतारेगा। एक और सवाल यह है कि नया उपराष्ट्रपति बचे हुए कार्यकाल को पूरा करेगा या उसे 5 साल का कार्यकाल मिलेगा।


संविधान के अनुसार नए उपराष्ट्रपति को मिलेगा पूरा कार्यकाल

भारतीय संविधान के अनुच्छेद 67 के अनुसार, यदि उपराष्ट्रपति अपने कार्यकाल के दौरान इस्तीफा देते हैं, तो नए उपराष्ट्रपति को पदभार ग्रहण करने की तिथि से पूरे पांच साल का कार्यकाल मिलता है। यह पिछले उपराष्ट्रपति के शेष कार्यकाल पर निर्भर नहीं करता। अनुच्छेद 68 में स्पष्ट है कि उपराष्ट्रपति का पद मृत्यु, इस्तीफे या हटाए जाने के कारण खाली होने पर नए उपराष्ट्रपति का चुनाव जल्द से जल्द करना अनिवार्य है। 2002 में उपराष्ट्रपति कृष्णकांत के निधन के बाद भैरों सिंह शेखावत को चुना गया था, जिन्होंने पूरा पांच साल का कार्यकाल पूरा किया।


उपराष्ट्रपति के चुनाव की प्रक्रिया

उपराष्ट्रपति का चुनाव संसद के दोनों सदनों, लोकसभा और राज्यसभा के सदस्यों द्वारा गठित निर्वाचक मंडल के माध्यम से किया जाता है। यह चुनाव आनुपातिक प्रतिनिधित्व पद्धति से होता है, जिसमें कुल 788 सदस्य वोट डालते हैं। इसमें राज्यसभा के 233 चुने हुए और 12 मनोनीत सदस्य, साथ ही लोकसभा के 543 चुने हुए सदस्य शामिल हैं। मतदाता अपनी प्राथमिकता के अनुसार उम्मीदवारों को क्रमांकित करते हैं, जिससे निर्वाचन में मतदाताओं की प्राथमिकता का सही प्रतिनिधित्व होता है।


उपराष्ट्रपति की जिम्मेदारियां

उपराष्ट्रपति की संवैधानिक जिम्मेदारियां सीमित हैं, लेकिन राज्यसभा के सभापति के रूप में उनकी भूमिका महत्वपूर्ण होती है। यदि राष्ट्रपति का पद किसी कारणवश रिक्त हो जाता है, तो उपराष्ट्रपति को राष्ट्रपति की जिम्मेदारियां निभानी पड़ती हैं। प्रोटोकॉल के अनुसार, उपराष्ट्रपति का स्थान राष्ट्रपति के बाद और प्रधानमंत्री से पहले आता है।