भारत ने पाकिस्तान को आतंकवाद का मुख्य स्रोत बताया, मानवाधिकार उल्लंघन रोकने की मांग की
भारत की कड़ी प्रतिक्रिया
संयुक्त राष्ट्र: भारत ने पाकिस्तान को 'आतंक, हिंसा, कट्टरता, असहिष्णुता और उग्रवाद का प्रमुख स्रोत' करार देते हुए मांग की है कि वह कश्मीर के उस हिस्से में जारी 'गंभीर और निरंतर मानवाधिकार उल्लंघन' को तुरंत समाप्त करे, जिसे उसने अवैध रूप से अपने कब्जे में रखा है।
केरल से रिवोल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी (आरएसपी) के सांसद एनके प्रेमचंद्रन ने उपनिवेशवाद-उन्मूलन से संबंधित महासभा समिति में कहा, "पाकिस्तान आतंकवाद, हिंसा, कट्टरता, असहिष्णुता और उग्रवाद का मुख्य स्रोत है। इस वर्ष अप्रैल में, पाकिस्तान द्वारा प्रशिक्षित आतंकवादियों ने जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में 26 निर्दोष नागरिकों की हत्या की थी।"
उन्होंने अप्रैल 1948 में पारित सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव 47 का उल्लंघन करते हुए कश्मीर के उस हिस्से में पाकिस्तान के दमन का खुलासा किया, जिस पर पड़ोसी देश का कब्जा है।
प्रेमचंद्रन ने कहा, "हम पाकिस्तान से अनुरोध करते हैं कि वह उन क्षेत्रों में जारी गंभीर मानवाधिकार उल्लंघनों को रोके, जिन्हें उसने अवैध रूप से कब्जा किया है। वहां की जनता पाकिस्तान के सैन्य कब्जे, दमन और संसाधनों के अवैध दोहन के खिलाफ विद्रोह कर रही है।" उन्होंने आगे कहा, "हाल के कुछ हफ्तों में पाकिस्तान की सेना और उसके समर्थकों ने कई निर्दोष नागरिकों की हत्या की है, जो अपने मौलिक अधिकारों और स्वतंत्रता के लिए संघर्ष कर रहे थे।"
यह ध्यान देने योग्य है कि पाकिस्तानी सेना ने विरोध प्रदर्शनों को कुचलते हुए 12 से अधिक लोगों की हत्या कर दी। प्रेमचंद्रन ने समिति में पाकिस्तान द्वारा भारत और कश्मीर पर दिए गए बयानों पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि ये टिप्पणियां चौथी समिति के कार्यक्षेत्र से संबंधित नहीं थीं।
उन्होंने कहा, "यह विडंबना है कि एक ऐसा देश, जो आतंकवाद को राज्य नीति के रूप में अपनाने के लिए बदनाम है, वह दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र पर आरोप लगाने का प्रयास कर रहा है। पाकिस्तान, जिसका सैन्य तानाशाही, दिखावटी चुनाव और धार्मिक उग्रवाद का पुराना इतिहास है, उसे भविष्य में इस मंच से उपदेश देने से बचना चाहिए।"
प्रेमचंद्रन ने दोहराया कि, "जम्मू और कश्मीर भारत का अभिन्न और अविभाज्य हिस्सा है और हमेशा रहेगा।"