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भारत पर अमेरिका के आयात शुल्क में वृद्धि: ईरान का समर्थन

अमेरिका द्वारा भारत पर आयात शुल्क बढ़ाने के निर्णय ने वैश्विक स्तर पर चर्चाएँ शुरू कर दी हैं। ईरान ने भारत का समर्थन करते हुए अमेरिका की नीतियों की आलोचना की है। ईरान के राजदूत डॉ. इराज इलाही ने कहा कि यह केवल भारत की समस्या नहीं है, बल्कि कोई भी देश इस तरह के आर्थिक हमलों से सुरक्षित नहीं है। जानें इस मुद्दे पर और क्या कहा गया है और वैश्विक प्रतिक्रिया क्या है।
 

अमेरिका का नया आयात शुल्क निर्णय

अमेरिका द्वारा भारत पर आयात शुल्क को बढ़ाकर 50 प्रतिशत तक करने के निर्णय ने वैश्विक स्तर पर नई चर्चाएँ शुरू कर दी हैं। इस समय जब भारत वैश्विक व्यापार में अपनी पहचान बनाने की कोशिश कर रहा है, ईरान ने खुलकर भारत का समर्थन किया है। नई दिल्ली में ईरान के राजदूत डॉ. इराज इलाही ने अमेरिका की नीतियों की आलोचना की और इसे एक ऐसा देश बताया जो आर्थिक दबाव को राजनीतिक हथियार के रूप में उपयोग करता है।


डॉ. इलाही ने कहा कि अमेरिका का यह रवैया नया नहीं है, बल्कि यह दशकों से इस रणनीति का पालन कर रहा है। उन्होंने कहा, "कोई भी देश आर्थिक हमलों से सुरक्षित नहीं है।"


एक प्रमुख चैनल के साथ बातचीत में उन्होंने कहा, "अमेरिका ने 20वीं सदी से कई देशों के खिलाफ आर्थिक प्रतिबंधों का उपयोग किया है, खासकर उन देशों के लिए जो स्वतंत्रता और आत्मनिर्भरता की दिशा में बढ़ने का प्रयास कर रहे हैं।"


ईरानी राजदूत ने यह भी कहा कि यह केवल भारत की समस्या नहीं है। "आज अमेरिका भारत को निशाना बना रहा है, कल किसी और को। वास्तव में, कोई भी देश इस तरह के आर्थिक हमलों से पूरी तरह सुरक्षित नहीं है।"


डॉ. इलाही ने अमेरिका और ईरान के बीच के तनावपूर्ण संबंधों का भी उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि ईरान पिछले 40 वर्षों से अमेरिकी प्रतिबंधों का सामना कर रहा है। उन्होंने चिंता व्यक्त की कि ट्रंप प्रशासन इन नीतियों को गर्व से लागू कर रहा है, जिससे वैश्विक व्यापार संतुलन प्रभावित हो रहा है।


हाल ही में, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत से आने वाले कुछ प्रमुख आयातों पर 25 प्रतिशत अतिरिक्त टैरिफ लगाने की घोषणा की है। इस निर्णय के बाद, भारत से अमेरिका को होने वाला निर्यात महंगा हो जाएगा, जिससे भारतीय निर्यातकों को नुकसान और रोजगार पर प्रभाव पड़ने की संभावना है।


विशेषज्ञों का मानना है कि ट्रंप की यह नीति केवल व्यापारिक मुद्दों तक सीमित नहीं है, बल्कि यह भूराजनीतिक दबाव का भी हिस्सा है। अमेरिका इस तरह के कदमों से वैश्विक आर्थिक व्यवस्था में अपनी पकड़ मजबूत करने का प्रयास कर रहा है, लेकिन इससे व्यापारिक साझेदारों में विश्वास की कमी हो रही है।


ईरान के अलावा, कई अन्य देशों ने भी अमेरिका की इस आक्रामक नीति के खिलाफ नाराजगी व्यक्त की है। ईरान का स्पष्ट समर्थन यह दर्शाता है कि अंतरराष्ट्रीय राजनीति में नई साझेदारियाँ बन रही हैं और अमेरिका के एकतरफा निर्णय अब पहले जैसे प्रभावशाली नहीं रह गए हैं।